– छोटे व्यापारियों को ठिकाने लगाकर बड़े माफिया को पहुंचाया फायदा
– स्थानीय अफसरों की मिलीभगत से खुल्लमखुल्ला खेल!
कायमगंज/फर्रुखाबाद | कायमगंज में तंबाकू व्यापार की आड़ में चल रहे करोड़ों की जीएसटी चोरी और अवैध धंधे ने एक बार फिर से शासन-प्रशासन की नींद उड़ा दी है। इस गोरखधंधे के पीछे सक्रिय है हिस्ट्रीशीटर ट्रांसपोर्टर प्रदीप यादव, जो तंबाकू माफिया रामेश्वर सिंह यादव का बेहद करीबी माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रदीप यादव ने अपनी “ऊंची सेटिंग” और स्थानीय अफसरों की मिलीभगत के बलबूते पर कायमगंज में अवैध व्यापार का ऐसा जाल बिछाया है, जो अब सीधे सरकार के राजस्व को चूना लगा रहा है। ताज्जुब की बात तो यह है कि पूर्व में जीएसटी विभाग द्वारा की गई छापेमारी की कार्रवाइयां भी इस सिंडिकेट के आगे पूरी तरह नाकाम रही हैं।
छोटे व्यापारियों का सफाया, बड़े माफिया को सीधा फायदा!
खुलासे के मुताबिक, प्रदीप ने सबसे पहले अपने माफिया आकाओं के इशारे पर छोटे तंबाकू व्यापारियों को टारगेट करना शुरू किया। स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से उनके ऊपर तरह-तरह के दबाव बनाकर उनका व्यापार बंद करवाया गया। कई व्यापारी तो अब रोज़गार तक विहीन हो चुके हैं।
जब बाज़ार खाली हो गया, तब प्रदीप ने मैदान में उतरकर कुछ गिने-चुने बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का गंदा खेल शुरू कर दिया। इन व्यापारियों के जरिए करोड़ों का तंबाकू अवैध तरीके से भेजा जा रहा है, बिना किसी टैक्स और रसीद के।
छापे पड़े, लेकिन नतीजा सिफर!
जीएसटी विभाग की ओर से पूर्व में की गई छापेमारी की कार्रवाई भी महज़ एक दिखावा बनकर रह गई। बताया जा रहा है कि प्रदीप ने पहले से ही अधिकारियों को सेट कर रखा था, जिससे न तो कोई बड़ा खुलासा हो सका और न ही कोई कठोर कार्रवाई।
स्थानीय व्यापारी अब खुलेआम इस न्याय की हत्या पर सवाल उठा रहे हैं। छोटे व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता है, जबकि असली माफिया खुलेआम लाखों-करोड़ों का खेल खेल रहे हैं।
सरकार की आंख में धूल झोंकने का नया तरीका – ‘प्रतिमा लगवाओ, पाप छिपाओ’!
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि प्रदीप यादव अब सरकारी सिस्टम को चुप कराने के लिए जगह-जगह नेताओं की प्रतिमाएं लगवा रहा है। एक ओर वह “देशभक्ति” और “सेवा” का नकली मुखौटा ओढ़े हुए है, वहीं दूसरी ओर तंबाकू माफिया के लिए करोड़ों का अवैध कारोबार चला रहा है।
इस पूरे प्रकरण पर जिले के अफसर मौन हैं। सवाल यह है कि क्या प्रदीप यादव के खिलाफ जल्द कोई ठोस कार्रवाई होगी या फिर सिस्टम इसी तरह माफियाओं की कठपुतली बना रहेगा? अब देखने वाली बात होगी – क्या योगी सरकार इस ‘सांठगांठ सिंडिकेट’ पर शिकंजा कस पाएगी या प्रदीप जैसे माफिया यूं ही सरकार को चूना लगाते रहेंगे?