शाहजहांपुर/कलान: सावन (Sawan) का पावन महीना… शिवभक्ति का उल्लास… और आस्था से लबरेज कांवड़ यात्रा। लेकिन मंगलवार को कलान थाना क्षेत्र के कुंडरिया गांव के शिवभक्तों की यह आस्था मातम में बदल गई। ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सजे डीजे की ऊंचाई हाईटेंशन लाइन (High tension line) से टकरा गई और देखते ही देखते कांवड़ यात्रा चीख-पुकार में बदल गई। करंट की चपेट में आने से दो कांवड़ियों की मौके पर दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
गांव से महज 10 किलोमीटर दूर हुए इस हादसे की खबर जैसे ही कुंडरिया पहुंची, पूरा गांव गहरे सदमे में डूब गया। जो कांवड़िये भोलेनाथ के दर्शन और अपनी मनोकामना पूरी करने घर से निकले थे, वे न भगवान तक पहुंच सके और न ही सुरक्षित घर लौट पाए। इस असमय मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।
गांव में चर्चा का विषय यही है कि आखिर क्यों भोले की भक्ति में निकले भक्तों को इतनी कठोर सजा मिली? आस्था से भरी यह यात्रा प्रशासन की अनदेखी का शिकार क्यों बनी? हाईटेंशन लाइन के नीचे से गुजरते रास्तों पर सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए गए? क्या यह जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं थी कि यात्रा मार्ग का पूर्व सर्वे कर सावधानी बरती जाती?
हादसे की सूचना मिलते ही कलान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर जरूर पहुंचे और औपचारिकता निभाते हुए निरीक्षण कर दिशा-निर्देश दे डाले। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन निर्देशों से उन परिवारों को सांत्वना मिलेगी जिनके घरों के चिराग बुझ गए?
सावन में जब हजारों कांवड़िये सड़कों पर निकलते हैं तो बिजली विभाग और प्रशासन की ढीली कार्यप्रणाली ऐसी त्रासदियों को न्योता देती है। अगर समय रहते हाईटेंशन तारों को लेकर सतर्कता बरती जाती, यात्रा मार्ग को सुरक्षित घोषित किया जाता, तो शायद आज दो मासूम जानें यूं करंट की भेंट न चढ़तीं। यह हादसा न केवल आस्था पर करारा प्रहार है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का जीवंत उदाहरण भी है। अब देखना यह होगा कि इस दुखद घटना के बाद जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई होती है या फिर यह भी महज कागजों तक ही सीमित रह जाएगी।