प्रयागराज: इलाहाबाद High court बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं को उनके पेशेवर कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि न्यायालय के अंदर वीडियो और फोटो बनाकर social media पर साझा करना न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है और न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है।
पहल के पीछे का उद्देश्य
इस कदम का मुख्य उद्देश्य अधिवक्ताओं को यह संदेश देना है कि पेशे की गरिमा और न्यायपालिका की मर्यादा का सम्मान करना अनिवार्य है। बार एसोसिएशन ने विशेष रूप से उन अधिवक्ताओं को चेतावनी दी है, जो रील्स बनाने और सोशल मीडिया पर डायलॉग बाजी के जरिए प्रचार करने में लगे थे। अधिवक्ताओं के लिए यह पहल एक सकारात्मक संदेश है कि उन्हें अपने पेशेवर कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान नहीं डालना चाहिए। इससे न्यायपालिका की कार्यवाही और भी प्रभावी और सुचारू रूप से संचालित होगी।
अधिवक्ताओं की जिम्मेदारियाँ और जागरूकता
बार एसोसिएशन के अनुसार, अधिवक्ताओं को सोशल मीडिया का उपयोग करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कार्य न्यायपालिका की गरिमा और पेशे की प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचाएँ। यह पहल न्यायपालिका के प्रति सम्मान बढ़ाने और पेशेवर आचार संहिता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
सार्वजनिक और पेशेवर प्रतिक्रिया
इस कदम को अधिवक्ताओं और आम जनता दोनों ने सकारात्मक रूप में लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न्यायालय में रील्स बनाने और सोशल मीडिया प्रचार की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। साथ ही, अधिवक्ताओं को उनके पेशे के प्रति जिम्मेदार और सचेत रहने में मदद मिलेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की यह पहल न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने, अधिवक्ताओं को उनके पेशेवर कर्तव्यों के प्रति सजग करने और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि अधिवक्ता अपने काम पर ध्यान केंद्रित करेंगे और सोशल मीडिया पर गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों से बचेंगे।