बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी नोटिस, पक्षकार बनाने के निर्देश
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकालत की आड़ में प्रॉपर्टी डीलिंग का अवैध कारोबार करने वाले वकीलों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि वकालत एक सम्मानित पेशा है और इसे दलाली तथा बिचौलागिरी का माध्यम बनाना कानून और नैतिकता—दोनों के खिलाफ है। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी मामले में पक्षकार बनाकर रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है।
याचिकाओं में यह आरोप लगाया गया कि वर्ष 2011 से 2021 के बीच 29 वकीलों के लाइसेंस इसलिए निलंबित किए गए क्योंकि वे लगातार प्रॉपर्टी डीलिंग में संलिप्त पाए गए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वकालत के नाम पर दलाली, बिचौलागिरी, भूमि विवादों में दबाव बनाना और फर्जी सौदे तय कराना आम बात बन गई है, जिससे न्यायिक व्यवस्था की गरिमा प्रभावित हो रही है।
अदालत ने कहा कि वकील न्याय व्यवस्था का एक अहम स्तंभ हैं। यदि वे ही व्यवसायिक लाभ के लिए कानून का दुरुपयोग करेंगे, तो आम जनता का भरोसा टूटेगा। कोर्ट ने बार काउंसिल से पूछा कि ऐसे मामलों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई और भविष्य में सख्ती के लिए क्या व्यवस्था बनाई जाएगी।
कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आदेश में कहा गया है कि सभी संबंधित विभाग और बार काउंसिल जांच कर यह बताएं कि कितने वकील प्रॉपर्टी कारोबार में सक्रिय हैं और उनके खिलाफ क्या दंडात्मक कार्रवाई की गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि कई मामलों में दोषी ठहराए गए व्यक्ति सजा पूरी करने के बाद भी जेल में क्यों बंद हैं। अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।






