इलाहाबाद हाईकोर्ट में बड़ी कार्रवाई: सानिया प्रकरण में पुलिस की ‘कब्ज़ा’ चाल उजागर, कोर्ट ने जताई कड़ी नाराज़गी

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राष्ट्रीय महिला आयोग, स्कूल प्रिंसिपल व एसएसपी मुजफ्फरनगर को तलब
27 नवंबर को लड़की और युवक को पेश करने का आदेश
अधिवक्ता विनोद कुमार श्रीवास्तव उषा श्रीवास्तव और अरिजीत की दलील सुन कोर्ट का चढ़ा पारा

प्रयागराज। सानिया प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने अदालत के 13 अगस्त 2025 के रोक आदेश का उल्लंघन करते हुए प्रथम याचिकाकर्ता सानिया को “कब्ज़े में लेने” जैसी अवैधानिक एवं अमानवीय कार्रवाई की। कोर्ट ने कहा कि किसी इंसान के लिए ‘कब्ज़ा’ शब्द का प्रयोग दर्शाता है कि पुलिस की मानसिकता आज भी दास प्रथा जैसी सोच से आगे नहीं बढ़ी है। मामले में अधिवक्ता विनोद कुमार श्रीवास्तव व उषा श्रीवास्तव, अरिजीत पीड़ित पक्ष की ओर से थे।
मुख्य न्यायाधीश संजीव कुमार और न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस ने कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद सानिया को हिरासत में लिया और “कब्ज़ा फर्द” जैसा दस्तावेज तैयार किया, जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
कोर्ट ने एसएसपी मुजफ्फरनगर को 27 नवंबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें यह बताया जाए कि आदेश के बावजूद पुलिस ने अवमानना जैसा कृत्य क्यों किया।
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को भी पक्षकार बनाया है।
साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालय, रठेरी के प्रिंसिपल को उम्र संबंधी सभी मूल अभिलेखों—प्रवेश रजिस्टर, स्कॉलर रजिस्टर, ट्रांसफर रजिस्टर आदि—के साथ अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
अदालत ने पुलिस द्वारा उपयोग किए गए शब्द “कब्ज़ा पुलिस में ले जाना” पर कहा कि यह सोच बेहद निंदनीय है और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। कोर्ट ने यहां तक कहा कि पुलिस की यह मानसिकता “ड्रेड स्कॉट बनाम सैंडफोर्ड (1856)” के दास प्रथा युग जैसी प्रतीत होती है।

मामले का पृष्ठभूमि मे सानिया और विकास ने 29 जनवरी 2024 को दिल्ली में विवाह किया था।
परिवार के विरोध और पूर्व में दर्ज FIR के बाद मामला अदालत में विचाराधीन है।
13 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
इसके बावजूद पुलिस ने 8 सितंबर को सानिया को हिरासत में लेकर मेडिकल कराया और फिर बालिका गृह भेज दिया।
मेडिकल बोर्ड ने सानिया की उम्र लगभग 18 वर्ष बताई है।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि बालिका गृह सहारनपुर की अधीक्षक, एसएसपी मुजफ्फरनगर सानिया और विकास को 27 नवंबर 2025 को दोपहर 2 बजे अदालत में प्रस्तुत करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुजफ्फरनगर पुलिस की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि अदालत के आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने राष्ट्रीय महिला आयोग, एसएसपी, एसएचओ , जांच अधिकारी और स्कूल प्रिंसिपल तक को तलब कर दिया है, जिससे यह मामला अब संवेदनशील मोड़ पर पहुंच गया है।

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