इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला — संदिग्ध ट्रांजैक्शन पर पुलिस को बैंक अकाउंट फ्रीज़ करने का अधिकार

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– प्रयागराज से आया ऐतिहासिक निर्णय, अदालत ने कहा — अपराध की जांच में सहयोग हेतु बैंक खाते फ्रीज़ करना पुलिस के अधिकार क्षेत्र में

प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि पुलिस को संदिग्ध लेनदेन (Suspicious Transactions) के मामलों में बैंक खाते फ्रीज़ (Freeze) करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि यदि किसी खाते से अपराध से जुड़ा धन या अवैध ट्रांजैक्शन होने की संभावना है, तो जांच के दौरान पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
न्यायमूर्ति की एकल पीठ ने कहा कि “पुलिस जांच एजेंसी का दायित्व केवल अपराधी को पकड़ना नहीं, बल्कि अपराध की जड़ तक पहुंचना भी है। ऐसे में बैंक खाते को फ्रीज़ करना जांच प्रक्रिया का वैध हिस्सा माना जाएगा।”
यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने बैंक खाते को फ्रीज़ किए जाने को अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर की कार्रवाई बताया था। अदालत ने पुलिस की कार्यवाही को सही ठहराते हुए कहा कि यदि फ्रीज़िंग उचित संदेह और जांच से जुड़ी हो, तो यह नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं मानी जाएगी।
अदालत ने यह भी कहा कि बैंक खाते को फ्रीज़ करने के लिए पुलिस को बिना न्यायिक आदेश के भी कार्रवाई करने का अधिकार है, बशर्ते यह कार्रवाई अपराध की जांच से संबंधित और तार्किक कारणों पर आधारित हो।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में साइबर अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में जांच एजेंसियों को मजबूत कानूनी आधार प्रदान करेगा।
हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि पुलिस ऐसी कार्रवाई करते समय संबंधित व्यक्ति को समुचित सूचना देने और जांच पूरी होने के बाद खाता बहाल करने की प्रक्रिया स्पष्ट रखे।
अदालत के इस निर्णय के बाद अब बैंकिंग व्यवस्था और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

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