बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके दो वरिष्ठ अधिकारियों पर 2024 के छात्र-आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों का गंभीर आरोप लगाया गया है। अभियोजन पक्ष ने रविवार को एक टेलीविजन सुनवाई में घोषणा करते हुए बताया कि इन लोगों ने जानबूझकर हिंसक दमन अभियान चलाया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कहा कि ये हत्याएं योजनाबद्ध थीं। इसे नरसंहार भी कहा गया है।
उन्होंने वीडियो साक्ष्यों और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच एन्क्रिप्टेड संचार का हवाला देते हुए दावा किया कि शेख हसीना ने स्वयं सुरक्षा बलों, सत्ताधारी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों को यह कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
आपको बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने लंबे समय से बांग्लादेश में सत्ता के दुरुपयोग और प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार की निंदा की है। हालांकि शेख हसीना ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन उनके करीबी सहयोगियों ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है।
फांसी की सजा भी संभव
1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों पर मुकदमा चलाने के लिए गठित न्यायाधिकरण ने पहले कई जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं को मौत की सजा सुनाई है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि शेख हसीना को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
आपको बता दें कि शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पहले ही जारी किया जा चुका है। अंतरिम सरकार ने औपचारिक रूप से भारत से उनके प्रत्यावर्तन का अनुरोध किया है। नई दिल्ली ने नोट को स्वीकार किया है, लेकिन आगे कोई टिप्पणी नहीं की है। शेख हसीना प्रशासन में शामिल अधिकांश वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। उन पर सामूहिक हत्या से लेकर पिछले साल की हिंसा के दौरान असंतोष को दबाने तक के आरोप हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच लगभग 1,400 लोग मारे गए, जिनमें छात्र और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।