– विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक घराने के मुखिया रहे मुलायम- मृत आत्मा के खिलाफ टिप्पणी करना धर्म ग्रंथों और समाज दोनों में निंदनीय
शरद कटियार। महा कुंभ 2025 में समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक पद्म विभूषण नेता मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा की चर्चा के बीच, हनुमान गढ़ी के कथित सेवक राजू दास द्वारा की गई अमर्यादित टिप्पणी ने सनातन धर्म के संस्कारों पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। मृत आत्माओं पर टिप्पणी हिंदू धर्म में वर्जित मानी जाती है, फिर भी राजू दास का बयान न केवल अमर्यादित है, बल्कि हिंदू संस्कृति और उसकी परंपराओं के लिए भी अपमानजनक है।
राजू दास ने मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा को लेकर अपमानजनक और निंदनीय शब्दों का उपयोग करते हुए विवाद खड़ा किया। उन्होंने कहा, “मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं की प्रतिमाओं की जगह नहीं होनी चाहिए, साथ ही इतना गंदा बोला था जिसकी चर्चा लिखनी भी शर्मनाक है” और इसे “सनातन धर्म के मूल्यों के खिलाफ” बताया।
हिंदू धर्म में मृतकों के प्रति सम्मान और शांति बनाए रखना सबसे प्रमुख संस्कारों में से एक है। मृत आत्मा के खिलाफ टिप्पणी करना धर्मग्रंथों और समाज दोनों में वर्जित है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, “मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना और उनके प्रति सम्मान प्रकट करना धर्म का हिस्सा है।”
मुलायम सिंह यादव, जिन्हें “धरती पुत्र” कहा जाता है, ने उत्तर प्रदेश और देश के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी मेहनत के बलबूते समाजवादी पार्टी आज देश के चर्चित राजनीतिक पार्टियों में शुमार है और सैफई घराना पूरे विश्व में सबसे बड़ा राजनीतिक घराना माना जाता है जहां एक ही परिवार के तमाम जन्मतिथि देश के सर्वोच्च संस्थानों में प्रतिनिधित्व करते दिखे।उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना जनता की मांग और उनके प्रति श्रद्धांजलि का प्रतीक है।
आंकड़ों की बात करें तो,उत्तर प्रदेश में 70% से अधिक लोग नेता जी के कार्यकाल को सम्मानपूर्वक याद करते हैं।2023 में हुए एक सर्वेक्षण में, 65% लोगों ने सार्वजनिक स्थलों पर उनके योगदान को दर्शाने वाली प्रतिमाओं की स्थापना का समर्थन किया।
सनातन धर्म के मूल्यों का अपमान
राजू दास की टिप्पणी ने न केवल मुलायम सिंह यादव के समर्थकों को आहत किया है, बल्कि सनातन धर्म के अनुयायियों को भी चिंतित किया है। यह बयान दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग धर्म का उपयोग व्यक्तिगत राजनीतिक और वैचारिक लाभ के लिए करते हैं।
सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “यह टिप्पणी राजू दास के छोटे सोच और असंवेदनशीलता को दर्शाती है। सनातन धर्म हमें सहिष्णुता और सम्मान सिखाता है, न कि किसी मृत आत्मा का अपमान।”
धर्मगुरु जगदगुरु चंद्राचार्य ने इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि “ऐसी बातें समाज में वैमनस्य फैलाती हैं और सनातन धर्म को बदनाम करती हैं।” लोग सोशल मीडिया पर #RespectNetaji और #BoycottRajuDas जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
राजू दास की इस टिप्पणी ने न केवल समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को आहत किया है, बल्कि हिंदू धर्म की सहिष्णु और पवित्र परंपराओं पर भी सवाल खड़ा किया है। यह वक्त है कि समाज के सभी वर्ग राजनीति और धर्म के बीच संतुलन बनाए रखें और ऐसे विवादित बयानों की निंदा करें, जो समाज की एकता और शांति को भंग करते हैं।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के मुख्य संपादक हैं।