यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। देशव्यापी हड़ताल के तहत फर्रुखाबाद के डॉक्टरों ने भी अपनी सेवाएं बंद कर दीं, जिससे लोहिया अस्पताल समेत जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की चिकित्सा सेवाएं ठप हो गईं। हड़ताल का असर शहर के कोने-कोने में देखा गया, जहां इलाज के अभाव में मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
*लोहिया अस्पताल पर सबसे ज्यादा असर
लोहिया अस्पताल, जो कि जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, हड़ताल के चलते पूरी तरह से बंद रहा। अस्पताल के ओपीडी विभाग में ताले लगे रहे और सैकड़ों मरीज बिना इलाज के वापस लौटने को मजबूर हो गए। जिन मरीजों की सर्जरी तय थी, उन्हें भी हड़ताल के कारण तारीखें आगे बढ़ानी पड़ीं। एक आंकड़े के मुताबिक, लोहिया अस्पताल में लगभग 500 से अधिक मरीजों की ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुईं, जबकि 30 से ज्यादा सर्जरी रद्द कर दी गईं।
*निजी अस्पतालों में भी सेवाएं ठप
हड़ताल का असर सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि फर्रुखाबाद के निजी अस्पतालों में भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों जैसे नारायण अस्पताल, कमल नर्सिंग होम, और जीवा अस्पताल में डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए अपनी सेवाएं रोक दीं। इसके कारण सैकड़ों मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा।
*मरीजों में हाहाकार
इस हड़ताल के कारण मरीजों और उनके परिजनों में भारी आक्रोश और चिंता का माहौल है। इलाज के लिए दूर-दराज से आए मरीज अस्पतालों के बंद दरवाजों के सामने भटकते रहे। एक मरीज के परिजन ने कहा, हम दो दिन पहले यहां आए थे और आज ऑपरेशन होना था, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण हमें बिना इलाज के वापस लौटना पड़ रहा है। हमें नहीं पता कि अब क्या करेंगे। जिला प्रशासन हड़ताल के चलते उत्पन्न स्थिति को लेकर चिंतित है। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और जल्द से जल्द समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। अगर हड़ताल लंबी खिंचती है, तो इसका असर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर और भी गंभीर हो सकता है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की उम्मीद की जा रही है ताकि जल्द से जल्द मरीजों को राहत मिल सके।