मैनपुरी| जिला पंचायत में वर्ष 2018-19 के दौरान बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का गंभीर मामला सामने आया है। पंचायती राज विभाग की वर्ष 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में जिला निधि के दुरुपयोग, नियमों के विपरीत बैंक खाते खोलने और संदिग्ध निर्माण कार्यों का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट हाल ही में विधान परिषद के पटल पर रखी गई, जिसके बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार जिला पंचायत मैनपुरी का जिला निधि खाता कोषागार के अतिरिक्त अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों और एक अनुसूचित बैंक सहित कुल छह बैंकों में खोला गया। हैरानी की बात यह है कि इन खातों को खोलने की जानकारी न तो वित्त विभाग को दी गई और न ही किसी अन्य सक्षम विभाग को अवगत कराया गया। राज्य सरकार की अनुमति के बिना इस तरह खाते खोलना गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि निजी लाभ के उद्देश्य से इन खातों का संचालन किया गया। हालांकि मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ऑडिट में 52.64 लाख रुपये के निर्माण कार्यों को भी संदिग्ध पाया गया है। सात ठेकेदारों द्वारा कराए गए सात निर्माण कार्यों के लिए 54.64 लाख रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन नियमों के अनुसार आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। इनमें राजीव गांधी नगर में रमेश शर्मा के घर तक सीसी सड़क, देवामई में लालाराम और अमर सिंह के घर तक सीसी सड़क, सिरसागंज से आशीष के घर तक, सुरेंद्र के मकान से शिवनाथ के घर तक सीसी सड़क, भावत-कुर्रा मार्ग से ग्राम चिरहुआ तक लेपन कार्य और मैनपुरी-किशनी मार्ग से कुरारी प्राथमिक पाठशाला तक लेपन कार्य शामिल हैं। जांच में सामने आया कि न तो कार्य प्रारंभ, मध्यावधि और पूर्ण होने की तस्वीरें प्रस्तुत की गईं और न ही निरीक्षण रिपोर्ट व उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए गए। सभी कार्यों को संदिग्ध मानते हुए ठेकेदार श्याम सिंह, सर्वेश, कार्तिकेय, बालाजी, सीमादेवी और मनोज प्रधान से वसूली के आदेश दिए गए हैं।
इसके अलावा विकास खंड बरनाहल, करहल, कुरावली, मैनपुरी, घिरोर, किशनी और जागीर में 2.64 करोड़ रुपये की लागत से कराए गए सीसी मार्ग निर्माण कार्य भी सवालों के घेरे में हैं। ऑडिट में स्पष्ट हुआ कि ये कार्य जिला पंचायत द्वारा ग्राम पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करते हुए कराए गए, जबकि इसके लिए कोई वैधानिक स्वीकृति नहीं ली गई थी। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शासन को दिया गया स्पष्टीकरण भी अस्वीकार्य पाया गया, जिसके बाद इन कार्यों को भी संदिग्ध घोषित करते हुए वसूली के आदेश जारी किए गए हैं।
ऑडिट रिपोर्ट में सात अन्य कार्यों में 1.46 लाख रुपये के अधिक भुगतान का भी खुलासा हुआ है। इनमें पांच लेपन और दो सीसी निर्माण कार्य शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किस ठेकेदार को कितनी अतिरिक्त राशि दी गई। इस मामले में भी ब्याज सहित धनराशि की वसूली के आदेश दिए गए हैं।
कुल मिलाकर ऑडिट रिपोर्ट ने जिला पंचायत मैनपुरी में वित्तीय अनुशासन की गंभीर अनदेखी और बड़े स्तर पर अनियमितताओं की तस्वीर सामने रख दी है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन और प्रशासन दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कब और क्या ठोस कार्रवाई करता है।

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