शरद कटियार
हरियाणा (Haryana) के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओ.पी. सिंह का यह वक्तव्य कि गैंगस्टर (Gangster) जीवनशैली को बढ़ावा देने वाले गायकों को अपराधी की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए, केवल कानून–व्यवस्था का मुद्दा नहीं है—यह हमारे समाज, युवाओं और सांस्कृतिक वातावरण के भविष्य से जुड़ा गंभीर सवाल है। आज संगीत, वीडियो और सोशल मीडिया पर बढ़ती हिंसक सामग्री ने युवाओं की सोच और व्यवहार को जिस तरह प्रभावित किया है, वह किसी भी संवेदनशील समाज के लिए चिंताजनक है।
पिछले कुछ वर्षों में कुछ कथित कलाकारों ने हिंसा, हथियार, गैंगवार, प्रतिशोध और गैर-कानूनी जीवनशैली को ‘कूल’ और ‘साहसी’ दिखाने का ट्रेंड शुरू कर दिया है। वीडियो में अपराधियों को हीरो और कानून को दुश्मन दिखाया जाता है। यह न केवल कला की बुनियादी मर्यादाओं का उल्लंघन है, बल्कि युवाओं को गलत दिशा में धकेलने का माध्यम भी है।
कई राज्यों में पुलिस की जांच में पाया गया कि गैंगस्टर संस्कृति को बढ़ावा देने वाली सामग्री अपराधी गिरोहों के लिए भर्ती का साधन बन गई है। ऐसे में डीजीपी ओ.पी. सिंह का रुख केवल कठोर नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता है। किशोर और युवा वर्ग, जो अभी मानसिक और सामाजिक रूप से विकसित हो रहा है, वह इस प्रकार के कंटेंट को बिना समझे ‘लाइफस्टाइल’ की तरह अपनाने लगता है।
यह मनोवैज्ञानिक रूप से
हिंसा के प्रति संवेदनहीनता,
अधिकार से विद्रोह,
तेज पैसे की लालसा,
और समूह-वाद की मानसिकता
को बढ़ावा देता है।
समाज की मूल नैतिक संरचना को तोड़ने में यही प्रवृत्तियाँ सबसे बड़ी भूमिका निभाती हैं। कला की स्वतंत्रता लोकतंत्र का विशाल स्तंभ है। परंतु यह स्वतंत्रता तभी सार्थक है जब वह समाज की मूल शांति, सुरक्षा और नैतिकता को न तोड़े।
यदि कोई कलाकार
हथियारों का प्रदर्शन,
अपराधियों की महिमा,
गैंग का प्रचार, और हिंसा को सामान्य जीवन की तरह प्रस्तुत करता है, तो यह न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है बल्कि समाज को नुकसान पहुँचाने का भी कृत्य है। डीजीपी की यह मांग कि ऐसे कलाकारों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो, इसीलिए महत्व रखती है। गैंगस्टर संस्कृति का बढ़ना केवल कानून का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक विफलता भी है।
ज़रूरी है कि
परिवार अपने बच्चों की सामग्री पर निगरानी रखें,
समाज हिंसक मनोरंजन को सामान्य न बनाए,
सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण और मॉनिटरिंग बढ़ाए,
शिक्षा में नैतिक मूल्यों पर आधारित कार्यक्रम शामिल हों।
हरियाणा डीजीपी की चेतावनी भविष्य के खतरे की ओर संकेत है। यदि आज ऐसे कलाकारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो कल यह संस्कृति युवाओं के भविष्य को निगल सकती है। कानून व्यवस्था केवल अपराध होने के बाद प्रतिक्रिया करे यह पर्याप्त नहीं—उसे समाज में अपराधी मानसिकता को बढ़ावा देने वाली जड़ों को भी काटना होगा। गैंगस्टर संस्कृति केवल मनोरंजन नहीं—यह सामाजिक जहर है। और इसे रोकना पुलिस, सरकार और समाज—तीनों की संयुक्त जिम्मेदारी है।


