गंगा व रामगंगा के उफान से गाँवों में तबाही, फसलें डूबीं और जीवन अस्त व्यस्त

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फर्रुखाबाद। लगातार पहाड़ों पर हो रही भारी बारिश और बैराजों से छोड़े गए पानी में गंगा और रामगंगा दोनों नदियों को उफ़ान पर पहुँचा दिया है। गंगा नदी खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जबकि रामगंगा का जलस्तर 137.05 मीटर तक पहुँच चुका है। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार खो बैराज से 4,074, हरेली से 11,500 और रामनगर बैराज से 7,481 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदियों का बहाव तेज हो गया है। इसका असर यह है कि कई गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले एक माह से बाढ़ की मार झेल रहे हैं। खेतों की खड़ी फसलें पूरी तरह डूबकर बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे उनकी सालभर की मेहनत चौपट हो गई है। मजदूरी और दैनिक रोजगार भी पूरी तरह ठप हो गया है, जिसके कारण परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी जुटाना तक मुश्किल हो गया है। कई घरों में पानी भर गया है और लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।बाढ़ का पानी अब सड़कों और गलियों तक घुस आया है। राजेपुर तिराहा पर तेज बहाव से निबिया मार्ग पर गहरे गड्ढे बन गए हैं और रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है। राजेपुर-डबरी मार्ग पर भी पानी और गड्ढों के कारण छोटे वाहन नहीं निकल पा रहे हैं। नतीजतन, फर्रुखाबाद जाने वाले वाहनों को केवल इटावा-बरेली हाईवे से होकर ही आना-जाना पड़ रहा है। वहीं अमैयापुर-चपरा और ख़ाखिन मार्ग पर तेज बहाव से ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है।रामगंगा का पानी ग़ैहलार, गुलरिया, भावन, हीरानगला, मियापट्टी, नाहरैया, निसवी, खरगपुर, सीढ़ेचकरपुर और राई जैसे गाँवों तक फैल चुका है। गंगा का जलस्तर पहले ही 137.30 मीटर तक जा पहुँचा है जबकि खतरे की सीमा 137.10 मीटर है। इस वजह से गंगा और रामगंगा किनारे बसे गाँवों के लोग हर पल खतरे में जी रहे हैं।

स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज करने की बात कही है, लेकिन प्रभावित गाँवों में भोजन, स्वच्छ पानी और दवाइयों की भारी कमी बनी हुई है। जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और नदियों के किनारे जाने से बचें।

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