फर्रुखाबाद। गंगा और रामगंगा नदियों ने इस बार ऐसा रौद्र रूप दिखाया है कि 20 साल का रिकॉर्ड टूट गया। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 35 सेंटीमीटर ऊपर और रामगंगा का स्तर चेतावनी बिंदु से 30 सेंटीमीटर अधिक हो गया है।
हालात इतने भयावह हैं कि जिले के 100 से अधिक गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं और 23 हजार से ज्यादा परिवार बुरी तरह प्रभावित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के दावों के बावजूद राहत और बचाव कार्य पर्याप्त नहीं हैं। कायमगंज तहसील के नगला बसोला गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। बाढ़ से घिरे गांव में प्रसव पीड़ा से जूझ रही सोमवती पत्नी संतराम को परिजन ट्रैक्टर से अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन प्रसव के बाद उनकी और नवजात दोनों की मौत हो गई। इससे पहले पंखियन मढ़ैया गांव में भी एक महिला की नाव पर ही प्रसव के दौरान मौत हो चुकी थी। इन घटनाओं ने राहत इंतज़ामों की पोल खोल दी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन नुकसान का सही आकलन नहीं कर रहा और राहत सामग्री समय पर नहीं पहुंच रही है। इसी बीच राहत सामग्री वितरण में भी विवाद खड़ा हो गया। एक पंचायत प्रधान और उनके बेटों पर बिरयानी बांटने के दौरान धार्मिक भावनाएं भडक़ाने का आरोप लगा।
पुलिस ने प्रधान के दो बेटों को गिरफ्तार किया, जबकि प्रधान और एक अन्य पुत्र फरार हो गए। इस प्रकरण को लेकर हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन भी किया। हालात कितने खतरनाक हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंचाल घाट पर नहाने गए छह युवक गहरे पानी में डूब गए। मौके पर पहुंचे पुलिस गोताखोरों ने कड़ी मशक्कत के बाद सभी को सुरक्षित बाहर निकाला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि जिन परिवारों के घर बाढ़ में ढह गए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मुफ्त पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रशासन का दावा है कि प्रभावित परिवारों का सर्वे तेजी से कराया जा रहा है और पुनर्वास कार्य में कोई देरी नहीं होगी। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए गंगा-यमुना में ऊपर से छोड़ा जा रहा पानी चिंता बढ़ा रहा है। कच्चे बांध और गांवों को बचाने के लिए प्रशासन लगातार चौकसी बरत रहा है। कुल मिलाकर, फर्रुखाबाद की बाढ़ न केवल प्राकृतिक आपदा का उदाहरण है बल्कि प्रशासनिक तत्परता, मानवीय संवेदनशीलता और राहत व्यवस्था की असली परीक्षा भी है।
गंगा-रामगंगा का उफान, लगभग 100 गांव टापू बने
