फर्रुखाबाद। गंगा,राम गंगा नदी उफान पर है और गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए खतरे के निशान से करीब 20 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। वही रामगंगा 15 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ज्यादा बह रही है। गंगा का यह उफान जिले के ग्रामीण इलाकों में तबाही मचा रहा है। अब तक जिले के 162 गाँव पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। कई गाँव टापू में बदल गए हैं और लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ रहा है।बाढ़ से सबसे ज्यादा असर गंगा किनारे बसे गांवों पर पड़ा है। जगह-जगह मकान पानी में समा गए हैं और कई घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। खेत खलिहान पूरी तरह जलमग्न हैं, जिससे किसानों की फसलें चौपट होने लगी हैं। पशुधन के लिए चारे और पानी की भारी समस्या खड़ी हो गई है। ग्रामीण अब अपने परिवारों के साथ ऊँचे स्थानों या स्कूलों व पंचायत भवनों में शरण लेने को मजबूर हैं।बाढ़ के कारण कई प्रमुख मार्ग बाधित हो गए हैं। शमशाबाद शाहजहांपुर मार्ग पर जलभराव के चलते आवाजाही पूरी तरह ठप हो चुकी है। ग्रामीण इलाकों में छोटे रास्तों पर नावें ही सहारा बन गई हैं। कई गांवों के लोग अब नाव और अस्थायी बेड़ों पर नदी पार कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल पहुंचाने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।गंगा के बढ़ते जलस्तर का असर शिक्षा पर भी पड़ा है। पंखियन की मड़ैया सहित कई गांवों के स्कूलों में पानी भर गया है। नतीजतन बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो गई है। कई जगह स्कूल भवन राहत शिविरों में तब्दील हो गए हैं, जहां विस्थापित परिवार ठहरे हुए हैं।बाढ़ की भयावहता को देखते हुए प्रशासन ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं। नावें लगाई गई हैं और बचाव दल प्रभावित गांवों में लगातार गश्त कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा कई जगह राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां प्रभावित परिवारों को खाना और पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीमों को तैनात किया है ताकि किसी भी महामारी या बीमारी की स्थिति को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।जिला प्रशासन ने बताया है कि बाढ़ प्रभावित गांवों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। खतरे वाले क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। अधिकारी नियमित रूप से दौरा कर हालात का जायजा ले रहे हैं। वहीं, राज्य स्तर से भी फर्रुखाबाद जिले की बाढ़ की स्थिति पर विशेष नजर रखी जा रही है।गंगा का जलस्तर पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि 20 साल बाद गंगा का इतना भयावह रूप देखने को मिला है। पानी के दबाव से कई तटबंध कमजोर पड़ रहे हैं। लोग अपने घरों का सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। महिलाएं और बच्चे खुले आसमान के नीचे दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं।फर्रुखाबाद में बाढ़ ने अब तक के हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। 162 गाँव प्रभावित, सैकड़ों घर जलमग्न, फसलें बर्बाद, पशुधन संकट और जनजीवन अस्त-व्यस्त होने से प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। राहत कार्य जारी है लेकिन ग्रामीणों में बाढ़ को लेकर दहशत और चिंता बनी हुई है।

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