फर्रुखाबाद| गंगा नदी का रौद्र रूप इस समय जिले के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं साबित हो रहा है। पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश और गंगा के बढ़ते जलस्तर ने जिले के निचले इलाकों और गंगा किनारे बसे गाँवों में तबाही का ऐसा मंजर खड़ा कर दिया है, जिसे देखकर लोग दहशत में हैं। शमशाबाद, कंपिल,राजेपुर, अमृतपुर और गंगा पार के चैनल पार क्षेत्र समेत कई गाँव पानी से चारों ओर से घिर चुके हैं। गाँवों की गलियों में नाव ही एकमात्र सहारा बन गई है। लोग अपने घरों को छोड़कर ऊँचे स्थानों, स्कूलों और पंचायत भवनों में शरण लेने को मजबूर हैं।बाढ़ का असर सबसे ज्यादा किसानों पर पड़ा है। सैकड़ों हेक्टेयर खेतों में खड़ी धान, मक्का और मूंगफली की फसलें पूरी तरह चौपट हो चुकी हैं। गन्ना और आलू जैसी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। जिन किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी, उनकी कमर टूट गई है। कई किसानों की हालत यह हो गई है कि उनके पास अब खाने तक का संकट खड़ा हो गया है। खेतों में पानी भर जाने से न केवल मौजूदा फसल बर्बाद हुई है, बल्कि अगली बुवाई की संभावना भी धूमिल हो गई है।शिक्षा व्यवस्था पर भी बाढ़ ने गहरी चोट की है। सैकड़ो विद्यालय पूरी तरह बंद हो चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित है और कई स्कूल तो राहत शिविर में बदल दिए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बाढ़ का बोझ बढ़ गया है। जगह-जगह से साँप-बिच्छू के काटने और पानीजनित बीमारियों की खबरें सामने आ रही हैं। जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।
बाढ़ का असर जिले के विकास कार्यों पर भी देखने को मिल रहा है। गंगा किनारे चल रहे पर्यटन विकास कार्य, जैसे पंचाल घाट का सुंदरीकरण और तटबंधों की मजबूती की परियोजनाएँ, पूरी तरह ठप हो चुकी हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब तक जलस्तर सामान्य नहीं होता, इन योजनाओं पर आगे काम संभव नहीं है।प्रशासन ने अब तक तकरीबन 20 बाढ़ प्रभावित गाँवों में राहत शिविर स्थापित किए हैं। जिलाधिकारी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर लोगों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। पीड़ितों के लिए राशन किट, पीने का पानी और दवाओं की आपूर्ति कराई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ संभावित महामारी को देखते हुए मेडिकल टीमों की तैनाती कर दी है। वहीं पुलिस और प्रशासनिक अमला लगातार नावों से राहत सामग्री पहुँचाने में जुटा हुआ है।
गंगा का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले 48 घंटे हालात और बिगड़ सकते हैं, क्योंकि ऊपरी इलाकों से छोड़ा गया पानी अभी फर्रुखाबाद पहुँच रहा है। इसी वजह से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। कई गाँवों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है और मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो रहा है।ग्रामीणों का कहना है कि इस बार की बाढ़ ने पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बुजुर्गों के अनुसार, ऐसी बाढ़ 1978 और 2010 में देखी गई थी, लेकिन इस बार नुकसान कहीं अधिक बड़ा है। लोग सरकार से तत्काल मुआवजे, पुनर्वास और स्थायी तटबंध बनाने की मांग कर रहे हैं।