गंगा और राम गंगा खतरे के निशान से ऊपर,3 हजार परिवार प्रभावित

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फर्रुखाबाद। गंगा और रामगंगा नदियों के उफान ने हालात बेहद गंभीर बना दिए हैं। पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से लगातार जारी बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक 162 गांव पूरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं और लगभग 3,000 परिवारों को अपने घर-बार छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जाना पड़ा है। कई गांवों में पानी भर जाने से लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं, जबकि कुछ गांवों तक पहुँचने का एकमात्र साधन नाव ही बचा है।गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और यह खतरे की सीमा (137.10 सेमी) से 20 सेंटीमीटर ऊपर, 137.30 सेमी दर्ज किया गया है। जलस्तर बढ़ने की वजह ऊपर से छोड़ा गया पानी है। नरौरा बांध से 1,28716 क्यूसेक, खो से 7074 क्यूसेक, हरेली से 5000 क्यूसेक और रामनगर बांध से 2557 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। नतीजतन नदी किनारे बसे गांवों में कटान और जलभराव की समस्या गंभीर हो गई है।बाढ़ का असर ग्रामीण इलाकों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। पंखियाँ की मड़ैया गांव में तीन मकान नदी में बह गए। इसके अलावा कई गांवों में किसानों की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है और पशुओं के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है। खेतों में खड़ी धान और सब्जी की फसल पूरी तरह नष्ट होने लगी है। ग्रामीण अब मवेशियों को लेकर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन करने लगे हैं।बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है। कई स्कूल बाढ़ के पानी में डूब गए हैं और कुछ को अस्थायी राहत शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में वायरल बुखार और पेट संबंधी बीमारियाँ फैलने लगी हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से लोग परेशान हैं। दवाओं और डॉक्टरों की उपलब्धता सीमित होने के कारण बीमार लोग खुले आसमान के नीचे इलाज का इंतजार कर रहे हैं।बाढ़ की वजह से जिले की कई सड़कें डूब गई हैं। शमशाबाद शाहजहांपुर मार्ग समेत कई संपर्क मार्ग पूरी तरह बंद हो गए हैं। ग्रामीण अब नावों के सहारे ही आवागमन कर पा रहे हैं। नाविकों की कमी के कारण लोगों को कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। सड़क मार्ग बाधित होने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी रुक गई है, जिससे ग्रामीणों को खाद्यान्न और पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। अब तक 57 नावें राहत और बचाव कार्य में लगाई गई हैं। प्रभावित गांवों में खाद्यान्न और पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है। जिला प्रशासन ने कई राहत शिविर और मेडिकल कैंप भी स्थापित किए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि राहत सामग्री पर्याप्त नहीं है और कई गांवों तक अब तक प्रशासन की नावें नहीं पहुँच पाई हैं।प्रशासन का कहना है कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और सभी प्रभावित परिवारों की मदद की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और स्वास्थ्य विभाग को विशेष सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन का दावा है कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त राहत सामग्री और नावें भी लगाई जाएंगी।

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