फर्रुखाबाद। जनपद में गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम और श्रद्धा भक्ति के साथ हुआ। शहर की गलियों और मोहल्लों में गणपति बप्पा की प्रतिमाएं विराजमान कर दरबार सजाए गए। दस दिनों तक सुबह शाम आरती, भजन कीर्तन, पूजन अर्चन और मनमोहक भोग से वातावरण भक्तिमय बना रहा। बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग तक सभी श्रद्धालु बप्पा की आराधना में लीन रहे। पूरे शहर में भक्ति और उत्साह का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने जनमानस को गहराई तक प्रभावित किया।अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की भव्य शोभायात्राएं निकाली गईं। भक्तों ने गगनभेदी जयकारों गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के बीच बप्पा का विसर्जन किया। जगह जगह ढोल नगाड़ों और नृत्य गान के साथ श्रद्धालुओं ने बप्पा को विदाई दी। हालांकि, विसर्जन के बाद का दृश्य हर किसी के लिए पीड़ा देने वाला साबित हुआ।विसर्जन के तीन दिन बीत जाने के बाद भी कई स्थलों पर टूटी फूटी, उलटी सीधी और गंदे पानी में तैरती गणेश प्रतिमाएं आस्था के साथ खिलवाड़ करती नजर आईं। न तो प्रतिमाएं पूरी तरह जल में समा पाईं और न ही पूरी तरह घुलीं। गंदले जल में प्रतिमाओं का यूं पड़ा रहना श्रद्धालुओं के मन को गहराई तक विचलित कर गया। कई श्रद्धालुओं ने इसे किसी अपराध से कम नहीं बताया।स्थानीय लोगों का कहना है कि विसर्जन स्थलों पर न तो उचित सफाई कराई गई और न ही प्रकाश व्यवस्था की कोई तैयारी थी। श्रद्धालुओं को अंधेरे में ही विसर्जन करना पड़ा। आसपास फैली गंदगी और दुर्गंध ने वहां का माहौल असहनीय बना दिया। श्रद्धालुओं का कहना है कि ऐसे दूषित और अस्वच्छ जल में कोई स्नान नहीं कर सकता, न ही उस जल का आचमन संभव है। ऐसे में लाखों लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस आयोजन में पूरा शहर शामिल होता है, वहां इतनी बड़ी चूक अस्वीकार्य है। विसर्जन स्थल पर उचित इंतजाम न होने के कारण श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुईं। आक्रोशित श्रद्धालुओं ने मांग की है कि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने इसके लिए प्रशासन को पहले से ही ठोस और प्रभावी व्यवस्था करनी चाहिए।