फर्रुखाबाद: जनपद में पहले तैनात रह चुके कई अधिकारी (officers) आजकल बिना वजह मुसीबतों के शिकंजे में फंसे दिखाई दे रहे हैं। वजह है—याचिका समिति (Petition committee) में की जा रही झूठी और मनगढ़ंत शिकायतें। आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने अपनी खुन्नस और निजी स्वार्थ साधने के लिए इन शिकायतों का सहारा लिया और अब निर्दोष अफसरों को बार-बार कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि कई मामलों में जिन अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर कभी सराहना हुई थी, आज वही लोग झूठे आरोपों की मार झेल रहे हैं। जबकि जांच में बार-बार आरोप साबित नहीं हो पा रहे। इसके बावजूद उत्पीड़न का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर यह कैसा तंत्र है, जहां शिकायत करने वाला तो बच निकलता है, लेकिन बेगुनाह अधिकारी महीनों तक मानसिक और सामाजिक दबाव में जीने को मजबूर हो जाते हैं। वहीं, जानकार इसे “नौकरशाही के मनोबल को तोड़ने की सुनियोजित कोशिश” करार दे रहे हैं।
जनपद में चर्चा है कि यह पूरा खेल कुछ प्रभावशाली रसूखदारों की शह पर खेला जा रहा है, ताकि दबाव बनाकर अपनी मनमानी करवाई जा सके। हालांकि, अफसरशाही के गलियारों में अब यह मुद्दा बड़ा सवाल बन गया है कि—क्या झूठी शिकायतों के सहारे किसी की ईमानदार सेवा अवधि को कलंकित किया जा सकता है?
यह मामला अब प्रशासन और सरकार के लिए भी चुनौती बन चुका है, क्योंकि अगर इस पर लगाम नहीं कसी गई तो आने वाले दिनों में इसका असर पूरे नौकरशाही तंत्र पर देखने को मिल सकता है।