फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही हर मंच से प्रदेश को गड्ढा मुक्त सड़कें देने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। सड़कों की स्थिति इन दावों की पोल खोल रही है। जिले की कई सड़कें जर्जर हालत में हैं, जिन पर चलना जनता के लिए रोज़ का संघर्ष बन चुका है। सबसे अधिक बदहाल हालत छिबरामऊ फतेहगढ़ मार्ग की है, जो न सिर्फ फर्रुखाबाद बल्कि कन्नौज, मैनपुरी, इटावा जैसे कई जिलों को जोड़ता है। यह मार्ग हजारों लोगों के आवागमन का जरिया है, लेकिन वर्तमान में सड़क पर गड्ढों की ऐसी भरमार है कि सड़क कम और गड्ढों की लड़ी ज़्यादा नज़र आती है।दोपहिया वाहन चालकों के लिए तो यह मार्ग जानलेवा बन गया है। लोग बताते हैं कि बाइक गड्ढों में फंसते ही चालक का गिरना तय हो जाता है। आए दिन हादसे हो रहे हैं, जिनमें कई लोग घायल हो चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं। बरसात के दिनों में तो हालात और भी भयावह हो जाते हैं। गहरे गड्ढों में पानी भर जाने से यह पता ही नहीं चलता कि सड़क कहां है और गड्ढा कहां, ऐसे में अनजाने में वाहन चालक गहरे गड्ढों में फंसकर बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को शिकायतें दी गईं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। फाइलों में मरम्मत और कार्रवाई दिखाकर जिम्मेदार अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर हालत जस की तस बनी रहती है। इस मार्ग से रोज़ाना स्कूली बच्चे, व्यापारी, किसान और कर्मचारी अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए गुजरते हैं, लेकिन हर कदम पर उन्हें जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहन भी इस सड़क पर सुचारु रूप से नहीं चल पाते, जिससे बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज तक नहीं मिल पाता।जर्जर सड़कें न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी हैं बल्कि विकास की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा रही हैं। यह मार्ग चूंकि कई जिलों के लोगों को जोड़ता है, इसलिए इसकी दुर्दशा का असर व्यापक स्तर पर पड़ रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर सरकार और प्रशासन कब इन सड़कों की ओर ध्यान देंगे, क्या गड्ढा मुक्त सड़क का दावा कभी हकीकत बनेगा या फिर यह सिर्फ चुनावी मंचों और कागजों में ही सीमित रह जाएगा