– अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
– राघवेंद्र सिंह राजू बोले — ‘स्वाभिमान यात्रा से ही जागेगा संगठन की आत्मा’
रायपुर (छत्तीसगढ़): राजधानी रायपुर में आयोजित अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का तीन दिवसीय ऐतिहासिक सम्मेलन सोमवार को संपन्न हुआ। सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. देव तथा पूर्व सांसद व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर हरिवंश सिंह (Kunwar Harivansh Singh) मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम में देशभर से हजारों क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर “राजपूताना एकता” का संदेश दिया।
राष्ट्रीय महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू ने सम्मेलन के समापन अवसर पर सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि –
“अखंड भारत के निर्माण में जिन राजपूतों ने अपनी रियासतें और अधिकार देशहित में न्योछावर किए, आज वही समाज राजनीतिक स्वार्थ की वजह से हाशिए पर खड़ा है। सत्ता की दौड़ ने जातिगत उन्माद को जन्म दिया है, जिससे राष्ट्र की एकता और अस्मिता को आघात पहुंच रहा है।”
राजू ने आगे कहा कि 2010 में तीन पदयात्राओं के माध्यम से अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने अधिकांश राजपूताना संगठनों को एक सूत्र में पिरोने का सफल प्रयास किया था। आज आवश्यकता है “केसरिया स्वाभिमान यात्रा” की, जिससे 658 जनपदों में फैले करोड़ों क्षत्रिय समाज को पुनः आत्मगौरव की अनुभूति हो सके।
डॉ. रमन सिंह ने जताई प्रसन्नता
सम्मेलन के मुख्य संरक्षक रहे डॉ. रमन सिंह ने कहा कि क्षत्रिय समाज देश की सुरक्षा और संस्कृति का प्रतीक रहा है। यह सुखद है कि राजपूताना समाज फिर से राष्ट्रीय चेतना के केंद्र में आ रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर हरिवंश सिंह ने कहा कि “सियासत के रिश्ते विरासत में नहीं मिलते, उन्हें कर्म और जनता के विश्वास से अर्जित करना पड़ता है।” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे क्षात्र धर्म का पालन करते हुए राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
ऐतिहासिक दृष्टि से राजपूतों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राघवेंद्र सिंह राजू ने कहा —
“आठवीं से सत्रहवीं शताब्दी तक विदेशी आक्रमणों से भारत की रक्षा करने का श्रेय राजपूतों को जाता है। उन्होंने न केवल धर्म और संस्कृति की रक्षा की, बल्कि 1857 से 1947 तक अपनी रियासतों का बलिदान देकर आधुनिक भारत की नींव रखी।”
उन्होंने यह भी कहा कि 1857 से 1947 तक की रियासतों की फाइलों में महिलाओं के प्रति किसी अपराध की एक भी एफआईआर दर्ज नहीं मिली, जबकि आज देश में महिला उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं। राजू ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद सत्ता लोलुप ताकतों ने राजपूतों को सत्ता से दूर करने की साजिश की।
1952 में राजस्थान विधानसभा में 180 में से 72 राजपूत विधायक बने थे, 1980 में उत्तर प्रदेश में 139 कांग्रेस विधायक राजपूत थे, और 2012 में समाजवादी पार्टी ने 52 टिकट देकर 45 राजपूतों को जीताया था।
“आज वही समाज सत्ता के केंद्र से दूर क्यों है? यह चिंतन का विषय है,”
उन्होंने कहा कि आज के समय में राजनीतिक दल राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बात तो करते हैं, पर राष्ट्रवादी समाज को साथ नहीं देना चाहते। “राजपूत समाज के कुछ लोग सत्ता पाना तो चाहते हैं, पर समाज के लिए त्याग नहीं करना चाहते,” राजू ने कहा।
अंत में महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू ने आह्वान किया —
“कस्तूरी कुंडलि बसे मृग ढूंढे वन माहि… राजपूतों को अपनी पहचान भीतर झांककर खोजनी होगी। पूर्वजों के पराक्रम को आदर्श बनाकर स्वयं की पहचान स्थापित करें और राष्ट्र को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं।”