– टैगोर लाइब्रेरी को मिला अनमोल ज्ञानकोष, कुलपति बोले – प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने अपने सामाजिक एवं शैक्षिक उत्तरदायित्व का परिचय देते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी को 227 पुस्तकें उपहारस्वरूप प्रदान कीं। इनमें कई पुस्तकें ऐसी भी हैं, जिनसे उन्होंने स्वयं अपने छात्र जीवन के दौरान अध्ययन किया था।
इन पुस्तकों के संग्रह में इतिहास, साहित्य, संस्कृति, अपराध विज्ञान, ज्योतिष, प्रशासनिक अनुभव, और भारतीय व वैश्विक महापुरुषों की जीवनियां शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन, विद्यार्थी और शोधकर्ता इस भेंट को बेहद उपयोगी और प्रेरणास्पद मान रहे हैं।
पुस्तकों में भारतीय इतिहास एवं साहित्य पर आधारित महत्वपूर्ण ग्रंथ,
भारतीय जनजातियों की संस्कृति पर शोधपरक पुस्तकें,
भारतीय सेना की वीरगाथाएं एवं युद्ध प्रसंग,
महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान एवं विचार,
ज्योतिष शास्त्र एवं हस्तरेखा शास्त्र,
साइबर क्राइम व अन्य अपराध अधिनियमों से जुड़ी विधिक पुस्तकें,
उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन मैनुअल,
प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत वरिष्ठ प्रशासकों के अनुभवों पर आधारित पुस्तकें,
भारत और विश्व के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर सामग्री,
देश और विदेश के महापुरुषों की जीवनी,
विभिन्न हिन्दी साहित्यकारों के प्रसिद्ध उपन्यास शामिल हैं।
कुल 227 पुस्तकों का यह अनमोल संग्रह लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी के शैक्षिक संसाधनों को और समृद्ध करेगा। विशेष रूप से वे छात्र-छात्राएं जो IAS, PCS, UGC-NET, या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए यह सामग्री अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी।
इन पुस्तकों से शोध करने वाले विद्यार्थियों को भी गहन अध्ययन का अवसर प्राप्त होगा, जिससे विश्वविद्यालय की शोध गुणवत्ता में भी वृद्धि की संभावना है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने प्रशांत कुमार के इस योगदान को “प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रेरणास्पद कदम” बताया। उन्होंने कहा,
“यह कार्य न केवल विद्यार्थियों को लाभ देगा, बल्कि अन्य सेवारत और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा। हम आशा करते हैं कि प्रशांत कुमार जी के इस प्रयास से प्रेरित होकर और भी लोग विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के लिए पुस्तकें भेंट करेंगे।”
लखनऊ विश्वविद्यालय परिवार ने पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार के इस शैक्षिक योगदान की सराहना की है और उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनकी यह पहल ज्ञान और सेवा की सच्ची भावना को दर्शाती है।
“जब एक प्रशासनिक अधिकारी अपनी पढ़ी हुई पुस्तकें आने वाली पीढ़ियों को समर्पित करता है, तो वह सिर्फ पन्ने नहीं देता, बल्कि अनुभव, प्रेरणा और दिशा प्रदान करता है।”
यह पहल न केवल विश्वविद्यालय के पुस्तकालय संसाधनों को समृद्ध करती है, बल्कि ‘पढ़े और आगे बढ़ाएं’ की संस्कृति को भी मजबूती देती है।