फर्रुखाबाद: गंगा कटरी क्षेत्र (Ganga Katra area) में लगातार बढ़ते जलस्तर ने आधा दर्जन से अधिक गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। ढाई घाट शमशाबाद (Dhai Ghat Shamshabad) से लेकर शाहजहांपुर मार्ग तक बाढ़ का सैलाब इस कदर फैल चुका है कि लोग जान जोखिम में डालकर पानी के बीच से छोटे-बड़े वाहनों से गुजरने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के अनुसार पहाड़ों में भारी वर्षा के चलते गंगा का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है, जिससे विनाशकारी बाढ़ ने किसानों और ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है।
गांवों में स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि जहां पहले किसानों की फसलें जलमग्न हुई थीं, अब वहीं लोगों के घर भी डूबने लगे हैं। खेत-खलिहान से लेकर गलियों और रास्तों तक पानी भर चुका है, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बच्चों और महिलाओं को भी कमर तक पानी में चलकर आवागमन करना पड़ रहा है।
कटरी क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियां – कहीं ऊंचे टीले, कहीं गहरे गड्ढे – बाढ़ के समय और भी खतरनाक हो जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई जगह जलसैलाब ने गड्ढों को समतल कर दिया है, जिससे रास्तों की वास्तविक स्थिति का पता लगाना मुश्किल हो गया है। लोगों को डर सता रहा है कि कहीं अनजाने में मौत के मुंह में न चले जाएं।
बाढ़ के पानी में कई ग्रामीणों की झोपड़ियां समा गई हैं। किसान और मजदूर जिनका रोज़गार खेत या मजदूरी से चलता था, अब पूरी तरह ठप्प हो गया है। पशुओं के लिए खेतों से मिलने वाला चारा भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया है। लोग बैलगाड़ियों के सहारे दूर-दराज के इलाकों से चारा ला रहे हैं। बाढ़ की विकरालता को देखते हुए मंगलवार को जिलाधिकारी फर्रुखाबाद और पुलिस अधीक्ष ने ढाई घाट शमशाबाद क्षेत्र का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित गांवों के प्रधानों और ग्रामीणों से संवाद कर राहत और बचाव के भरोसे दिलाए। साथ ही सभी को सतर्क और सुरक्षित रहने की अपील की गई।
हालात से घबराए लोग अब सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। कुछ परिवारों ने ढाई घाट गंगा पुल के आसपास फिर से झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी हैं। उनका कहना है कि कटरी क्षेत्र में जब बाढ़ शुरू होती है, तो महीनों तक उसका असर बना रहता है। ऐसे में रोज़ी-रोटी से लेकर आवास तक की स्थिति गंभीर हो जाती है।