– कुपोषण मिटाने में निभाई अग्रणी भूमिका।
– फर्रूखाबाद की चन्द्रमुखी सम्मानित।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित “संभव अभियान” (Sambhav campaign) ने राज्य में कुपोषण के विरुद्ध चल रही लड़ाई को नई दिशा दी है। महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने एक सम्मान समारोह में पाँच उत्कृष्ट आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित किया। महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने बताया कि वर्ष 2024-25 में संभव अभियान 0.4 तक के विभिन्न चरणों में, जनपद वाराणसी, चंदौली, श्रावस्ती, उन्नाव व फर्रूखाबाद की कार्यकत्रियों ने पोषण सुधार के क्षेत्र में सराहनीय एवं अनुकरणीय प्रयास किए हैं।
ये प्रयास न केवल कुपोषण की रोकथाम तक सीमित रहे, बल्कि समग्र स्वास्थ्य सुधार, मातृत्व सुरक्षा और किशोरी बालिकाओं की जीवन गुणवत्ता में भी सकारात्मक परिवर्तन लाए। प्रत्येक चयनित कार्यकत्री ने स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए सैम (गंभीर रूप से कुपोषित) बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया और उन्हें कुपोषण से बाहर लाने में सफलता प्राप्त की।
उत्तर प्रदेश के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा संचालित “संभव अभियान” ने पोषण सुधार, मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं सामुदायिक जागरूकता के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। इस अभियान की सफलता के केंद्र में वे आंगनवाड़ी कार्यकत्रियाँ हैं, जिन्होंने निष्ठा, संवेदनशीलता और निरंतर प्रयासों से अपने-अपने क्षेत्रों में असंभव को संभव कर दिखाया। ये हैं हमारे गाँव, नगर और समाज की वो नायिकाएं जिन्होंने सेवा को मिशन बना दिया।
मंत्री बेबी रानी मौर्य ने बताया कि इन पाँच आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की कहानी “संभव अभियान” की असली तस्वीर है। ये केवल आँकड़े नहीं, बल्कि विकास की वे कहानियाँ हैं जो उत्तर प्रदेश के गाँव-गाँव में गूंज रही हैं। इनकी कार्यशैली, संवेदनशीलता और समर्पण प्रदेश को पोषण युक्त, स्वस्थ और जागरूक समाज की ओर ले जा रहा है।
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग इन कार्यकत्रियों के योगदान को सम्मानपूर्वक नमन करता है और यह विश्वास व्यक्त करता है कि इनके जैसे हजारों कार्यकत्रियाँ “संभव” को “साकार” करती रहेंगी।
ये कार्यकत्रियाँ — सरिता देवी (वाराणसी), सुजाता कुशवाहा (चंदौली), पानकली (श्रावस्ती), सजनी अवस्थी (उन्नाव) और चन्द्रमुखी (फर्रूखाबाद) — न केवल कुपोषण के विरुद्ध प्रभावशाली कार्य कर रही हैं, बल्कि डिजिटल तकनीक, किशोरी स्वास्थ्य, टीकाकरण और स्तनपान के क्षेत्र में भी अनुकरणीय उदाहरण बन चुकी हैं।
चन्द्रमुखी -पलिया, शमसाबाद, फर्रूखाबाद
शमसाबाद की चन्द्रमुखी ने गंभीर कुपोषण से ग्रस्त 03 बच्चों को ई-कवच पोर्टल पर फीड कर एनआरसी में भर्ती कराया और सुधार सुनिश्चित किया। 09 अन्य बच्चों को समुदाय के सहयोग से सामान्य पोषण स्थिति में लाना उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचायक है। उनकी डिजिटल सक्षमता इस बात से साबित होती है कि पोषण ट्रैकर पर 100 प्रतिशत ई.के.वाई.सी. और प्रमाणीकरण कार्य पूर्ण हुआ। लगातार तीन वर्षों से उनके विरुद्ध कोई शिकायत आई.जी.आर.एस.पोर्टल पर नहीं आना, उनके अनुशासन और कार्यकुशलता का प्रतीक है। सभी स्वास्थ्य अभियानों में सक्रिय सहयोग और मातृ समिति की प्रभावी बैठकों ने लो बर्थ वेट की समस्या में भी कमी लाई है।