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Tuesday, August 5, 2025

प्राकृतिक शिक्षा का संदेश देती क्ले मॉडलिंग के साथ संपन्न फाइन आर्ट वर्कशॉप

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– श्री कृष्ण दत्त अकादमी, वृंदावन लखनऊ में छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ समापन, प्रकृति और कला का सुंदर संगम देखने को मिला

लखनऊ: श्री कृष्ण दत्त अकादमी वृंदावन (Shri Krishna Dutt Academy Vrindavan) लखनऊ (Lucknow) में आयोजित छह दिवसीय फाइन आर्ट वर्कशॉप (workshop) का समापन कल रोचक कलाकृतियों की भव्य प्रदर्शनी के साथ हुआ। इस अवसर पर एडिशनल डायरेक्टर कुसुम बत्रा के नेतृत्व में मुख्य अतिथि डायट लखनऊ के प्राचार्य अजय सिंह और विशिष्ट अतिथि प्रीति त्रिवेदी (निदेशक, कर्नल एस. एन. मिश्रा ओबीई मेमोरियल स्कूल) ने दीप प्रज्वलन कर मां सरस्वती की वंदना के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन कॉलेज के प्राचार्य नवीन कुलश्रेष्ठ के मार्गदर्शन में हुआ, जिसमें सुभाष तिवारी और सी. डी. त्रिपाठी ने प्रमुख भूमिका निभाई। प्रशिक्षुओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए और श्रेष्ठ तीन प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस प्रशिक्षण में क्ले मॉडलिंग, कैनवस पेंटिंग, डिजिटल पेंटिंग और फोटोग्राफी जैसी कलाओं को बारीकी से सिखाया गया। कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य था – बच्चों को प्रकृति से जोड़ना, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना और कलात्मक सोच का विकास करना।

प्रशिक्षक नमित वर्मा ने बताया कि क्ले आर्ट, जिसे आम भाषा में क्ले मॉडलिंग कहा जाता है, मिट्टी को विभिन्न आकारों में ढालने की कला है। यह कला टेराकोटा, पॉटरी क्ले, स्टोनवेयर, पोर्सलीन, पॉलिमर क्ले और एयर ड्राय क्ले जैसी विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से की जाती है। बच्चों ने इस माध्यम से फूलदान, सजावटी वस्तुएं और पर्यावरण थीम पर आधारित कई कलात्मक मॉडल तैयार किए।

कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षक लोकेश वर्मा, राज किरण द्विवेदी और नमित वर्मा ने बच्चों को न केवल तकनीकी ज्ञान दिया, बल्कि उनकी रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति को भी प्रोत्साहित किया। एडिशनल डायरेक्टर कुसुम बत्रा ने कहा कि “यह प्रशिक्षण बच्चों और बड़ों के लिए अपने भीतर छिपे कलाकार को पहचानने और निखारने का एक शानदार अवसर साबित हुआ है।”

समाजसेविका एवं शिक्षिका रीना त्रिपाठी ने कहा, “हर स्कूल को इस तरह की वर्कशॉप नियमित रूप से आयोजित करनी चाहिए। यदि संसाधनों की कमी हो तो कम से कम ग्रीष्मावकाश के दौरान बच्चों को ऐसे प्रशिक्षण शिविरों में अवश्य भेजना चाहिए। इससे बच्चों में रचनात्मकता, प्रकृति प्रेम और सकारात्मक सोच का विकास होता है।” इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन के रंगों और मिट्टी की खुशबू से जुड़कर ही पूर्णता प्राप्त कर सकती है।

 

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