बीएचयू की डॉ. प्रियंका सोनकर ने रखे सारगर्भित विचार, अनीता भारती ने की अध्यक्षता
लखनऊ: बलरामपुर गार्डन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेला (National Book Fair) में गुरूवार को आयोजित संगति परिचर्चा का केंद्र बिंदु दलित लेखन और उस पर हो रहे मुकम्मल काम रहा। इस परिचर्चा में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) हिंदी प्रभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका सोनकर ने दलित साहित्य की गहराई, उसके विमर्श और समाज पर पड़ रहे प्रभावों पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
डॉ. सोनकर ने कहा कि दलित लेखन केवल पीड़ा की अभिव्यक्ति भर नहीं है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और परिवर्तन की दस्तक है। उन्होंने दलित साहित्य की यात्रा, उसकी सृजनात्मकता और उसमें निहित संघर्ष को विशेष रूप से रेखांकित किया।
परिचर्चा की अध्यक्षता प्रख्यात लेखिका अनीता भारती ने की। उन्होंने कहा कि दलित साहित्य समाज के उस यथार्थ को सामने लाता है, जिसे मुख्यधारा लंबे समय तक हाशिए पर रखती रही। अनीता भारती ने इसे समानता और न्याय के विमर्श का सबसे सशक्त माध्यम बताया।
इस मौके पर उपस्थित श्रोताओं ने भी सवाल-जवाब और टिप्पणियों के जरिए चर्चा को और जीवंत बना दिया। संगति परिचर्चा में साहित्यकारों, शोधार्थियों और पाठकों की सक्रिय भागीदारी रही। राष्ट्रीय पुस्तक मेले में यह परिचर्चा दलित साहित्य को लेकर नई दृष्टि और संवाद का महत्वपूर्ण मंच साबित हुई।