– चार साल में 17 कीमती संपत्तियों का करवा डाले बैनामे , फर्जी केसों से आम लोग सहमे
– फ़र्ज़ी वाड़े में अफसरों, नेताओं, पत्रकारों तक को नहीं छोड़ा
– सीएम योगी की सत्ता में भी किसी अधिकारी की हिम्मत हाथ डालने की नहीं
फर्रुखाबाद/लखनऊ: फर्रुखाबाद में झूठे मुकदमों का कारोबार चलाने वाले नॉन प्रेक्टिशनर वकील पर योगीराज के 8 साल गुजर जाने के बाद भी आज तक किसी की हाथ डालने की हिम्मत नहीं हुई उसने बीते में चार सालों में 17 बैनामे करा करोड़ों की संपत्तियों के रूप में खेल कर डाले तमाम पुलिस कर्मियों को रखेल बनाकर उसने हमेशा मनमानी की और आज भी निरंतर जारी है पुलिस के ही एक बड़े अधिकारी का हाथ होने के कारण बड़ी-बड़ी संभावित कार्रवाई अभी थम गई। वहीं लखनऊ की अदालत में ऐसे ही एक शातिर वकील परमानंद गुप्ता को दोषी मान बीते दिनों उसे न केवल उम्र कैद की सजा दी बल्कि 5 लाख का जुर्माना भी ठोका लोग ऐसी कार्रवाई की जिले में भी अपेक्षा रख रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लखनऊ में वकील परमानन्द गुप्ता आम जनता के लिए अब खतरा बन चुका था। उसने झूठे मुकदमों और दबाव के माध्यम से न केवल संपत्तियों पर कब्जा जमा लिया बल्कि लोगों को मानसिक रूप से भी भयभीत किया। ऐसा ही जनपद फतेहगढ़ का चर्चित वकील जिसके चैंबर को डीआईजी का चैंबर बोला जाता है उसे पर भी कार्रवाई होनी जरूरी है।
लखनऊ की अदालत ने हाल ही में 29 झूठे मुकदमों के मामले में वकील परमानन्द गुप्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और उसे न केवल उम्र कैद की सजा सुनाई वल्कि पांच लाख का जुर्माना भी थोका। कोर्ट ने माना कि वकालत की आड़ में गुप्ता की गतिविधियां केवल संपत्ति हड़पने तक सीमित नहीं थी, बल्कि इससे आम लोगों के जीवन और सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ।
फर्रुखाबाद के नागरिक और प्रभावित लोग अब ऑपरेशन “महाकाल” की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार और पुलिस को मिलकर ऐसे वकीलों और दबंगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि झूठे मुकदमों और संपत्ति हड़पने का डर आम जनता से खत्म हो।
फर्रुखाबाद के एक स्थानीय व्यापारी ने कहा,जनपद में चंद वर्षों में मांग कर कपडे पहनने वाले शातिर युवक ने वकालत और झूठे मुकदमो की आड़ में महज “चार साल में 17 संपत्तियों का बैनामा करवाना केवल वकील की चालाकी नहीं, बल्कि सिस्टम में बड़ी कमी का संकेत है। अगर ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं होती, तो आम जनता का न्याय पर भरोसा खत्म हो जाएगा।”
स्थानीय लोग बताते हैं कि गुप्ता ने फर्जी केसों और धमकियों के जरिए लोगों को मानसिक रूप से तोड़ दिया था। कई बार तो संपत्ति के मालिकों को अदालत में झूठे आरोपों के डर से संपत्ति छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई और जनता के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले अभियान की आवश्यकता है। वे इसे ऑपरेशन “महाकाल” नाम देने की सलाह दे रहे हैं, ताकि दबंग वकीलों और उनके गुर्गों पर कार्रवाई करके आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जनपद फर्रुखाबाद में परमानन्द गुप्ता जैसे वकीलों की सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि सिस्टम में सुधार और कार्रवाई की जरूरत है। चार साल में 17 संपत्तियों का बैनामा, तमाम झूठे मुकदमे और आम लोगों पर मानसिक दबाव यह दिखाते हैं कि न्याय के लिए केवल अदालत पर भरोसा पर्याप्त नहीं, बल्कि प्रशासन और कानून प्रवर्तन की तत्परता भी जरूरी है।