फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक जिला, आज विकास के नाम पर भ्रष्टाचार (Corruption) और सरकारी धन की बर्बादी का पर्याय बन चुका है। सरकारी परियोजनाओं, निर्माण कार्यों और योजनाओं में अनियमितताओं ने जनता के विश्वास को तोड़ा है। इटावा-बरेली हाइवे, पांचाल घाट का निर्माण, और विभिन्न सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार ने क्षेत्र की प्रगति को बुरी तरह प्रभावित किया है।
इटावा-बरेली हाइवे, जो इस क्षेत्र को राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने का मुख्य मार्ग है, भ्रष्टाचार का शिकार हो चुका है। इस परियोजना के लिए ₹200 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था। लेकिन हाइवे की मौजूदा स्थिति देखकर यह साफ है कि इसमें जमकर अनियमितताएं हुई हैं।
1. घटिया निर्माण सामग्री:
सड़क के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री इतनी खराब है कि कुछ ही महीनों में सड़क जगह-जगह से टूट गई।
2. गड्ढों की भरमार:
सड़कों पर बने गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।
पिछले छह महीनों में: 50 से अधिक दुर्घटनाएं।
मृतकों की संख्या: 12 से अधिक।
तय समय सीमा खत्म होने के बावजूद अभी तक निर्माण कार्य अधूरा है।
वित्तीय गड़बड़ी
स्वीकृत राशि: ₹200 करोड़।
वास्तविक खर्च: केवल ₹80 करोड़ का निर्माण कार्य ,ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बिलों के जरिए धन गायब किया गया।
पांचाल घाट, जो फर्रुखाबाद का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, इसके पुनर्निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। राज्य सरकार ने घाट के पुनरुद्धार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ₹50 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था।
धांधली के स्पष्ट संकेत हैं, सीढ़ियों और घाट पर लगाए गए पत्थर और सीमेंट पहली ही बारिश में टूट गए।
दिसंबर 2024 तक कार्य पूरा होना था, लेकिन अब तक केवल 40% काम ही पूरा हुआ है।
टेंडर प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ, और ठेकेदारों को मनमाने ढंग से ठेके दिए गए। पांचाल घाट पर पूजा करने आने वाले श्रद्धालु और स्थानीय लोग इस भ्रष्टाचार से परेशान हैं। लोगों ने कई बार प्रशासन को शिकायतें दीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
फर्रुखाबाद में विकास कार्यों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभार्थियों की संख्या: 5,000।केवल 2,000। बिचौलियों ने लाभार्थियों से पैसे लिए, लेकिन आवास नहीं दिए। फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। मजदूरी का भुगतान महीनों तक रुका रहा।स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण के नाम पर धनराशि का गबन। कई गांवों में शौचालय आज भी अधूरे हैं।
धन के गबन का आंकड़ा
कुल स्वीकृत धनराशि: ₹300 करोड़।
वास्तविक कार्यान्वयन: ₹150 करोड़ से भी कम।
स्थानीय लोग इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। कई बार विरोध प्रदर्शन, धरने, और ज्ञापन दिए गए, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।जनता की मांग है ,इटावा-बरेली हाइवे, पांचाल घाट, और सरकारी योजनाओं की निष्पक्ष जांच हो।
घोटाले में शामिल अधिकारियों और ठेकेदारों को सजा दी जाए।
सभी विकास परियोजनाओं और योजनाओं का हिसाब जनता के सामने रखा जाए।
फर्रुखाबाद में सरकारी परियोजनाओं की समीक्षा करने वाली लेखा और ऑडिट विभाग की रिपोर्ट्स भी भ्रष्टाचार की पुष्टि करती हैं।इटावा बरेली हाइवे पर₹50 करोड़ का फर्जी खर्च दिखाया गया।गुणवत्ता परीक्षण में निर्माण कार्य फेल।पांचाल घाट पर उपयोग की गई सामग्री मानकों पर खरी नहीं उतरी। 40% धनराशि का कोई हिसाब नहीं है।
फर्रुखाबाद में विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे: सभी परियोजनाओं और योजनाओं की प्रगति की ऑनलाइन निगरानी की जाए।
संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों को उनकी जवाबदेही का एहसास कराया जाए,विकास कार्यों की निगरानी में स्थानीय नागरिकों और संगठनों को शामिल किया जाए। फर्रुखाबाद में विकास के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार जनता के पैसे की बर्बादी है। इससे न केवल जिले की प्रगति प्रभावित हो रही है, बल्कि जनता का प्रशासन और व्यवस्था पर विश्वास भी खत्म हो रहा है। यदि समय रहते इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में जिले की स्थिति और खराब हो सकती है।
प्रशासन को तुरंत जांच शुरू करनी चाहिए, दोषियों को सजा देनी चाहिए और विकास कार्यों को पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ लागू करना चाहिए। फर्रुखाबाद की जनता अब जागरूक हो चुकी है और अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार है।