नई दिल्ली: बढ़ते अमेरिकी दबाव के बीच एक स्पष्ट कूटनीतिक संकेत देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से मुलाकात की और वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा की। इससे पहले उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी वार्ता की। यह मुलाकात जयशंकर की अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक मुद्दों पर हुई बातचीत के कुछ ही घंटों बाद हुई। इस बातचीत में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया।
यह उच्च स्तरीय बैठक राष्ट्रपति पुतिन की वर्ष के अंत में होने वाली भारत यात्रा को अंतिम रूप देने के प्रयासों का हिस्सा है। यह बैठक जयशंकर द्वारा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता के कुछ ही घंटों बाद हुई। चर्चा द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने और संभावित अमेरिकी दंड से अपनी ऊर्जा साझेदारी की रक्षा पर केंद्रित रही। लावरोव के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में, जयशंकर ने हाल ही में अमेरिकी टैरिफ लगाने और रूस से भारत की तेल खरीद की आलोचना के पीछे के औचित्य पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब ट्रम्प भारत पर रूस से तेल खरीदना बंद करने का दबाव बना रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि इससे यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा मिला। जयशंकर ने लावरोव के साथ एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में कहा, हमारा मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत और रूस के बीच संबंध दुनिया के सबसे मज़बूत रिश्तों में से एक रहे हैं।
उन्होंने कहा, भू-राजनीतिक अभिसरण, नेतृत्व संपर्क और जनभावनाएँ इसके प्रमुख प्रेरक बने हुए हैं। आज सुबह, जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे “स्थिर” संबंध हैं।