- बाढ़ में डूब रही फसलों को उठाने की जल्दबाजी
अमृतपुर फर्रुखाबाद: प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गंगा नदी में बाढ़ का प्रकोप दिखाई देने लगा है। संबंधित बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। इसी के साथ इस नदी की तलहटी में बसे गांवो के लोग अब इस बाढ़ के पानी को लेकर चिंता में पड़ गए हैं। पहाड़ी इलाकों में लगातार वर्षा के चलते डेम भर चुके हैं। गंगा नदी का जलस्तर जिले में चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर तक पहुंच गया है।
अमृतपुर तहसील क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित ग्राम तीसराम की मड़ैया है। जहां बाढ़ का पानी पहले ही प्रवेश कर चुका है। पिछले वर्ष मुख्यालय से इस गांव तक पहुंचाने के लिए जो रास्ते पर पुलिया बनी थी वह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। जिसे ठीक करने के निर्देश प्रशासन द्वारा दिए गए थे। परंतु इस पुलिया की मरम्मत का कार्य नहीं हो सका और यहां केवल ईंट पत्थर डलवाए गए थे। अब पानी का स्तर बढ़ने के चलते आवागमन प्रभावित होने लगा है। इस गांव में 39 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 8 परिवार कच्चे मकानों में रहते हैं।
गांव की कुल आबादी 160 के करीब है। यहां लगभग 100 जानवर हैं जिनमें भैंस, गाय, बैल और पालतू कुत्ते शामिल हैं। ग्रामीणों के पास करीब 100 बीघा भूमि है जिस पर चारा, मूंगफली और मक्का की फसलें हैं। बाढ़ के कारण किसान जल्दबाजी में फसल काट रहे हैं। कई खेतों में पानी पहुंच चुका है। और अब इस बाढ़ के पानी ने गांव के अंदर भी दस्तक दे दी है। सबसे बड़ी समस्या जानवरों के चारे की हो चुकी है। ग्रामीण लालाराम के अनुसार अगर समय रहते फसल नहीं काटी गई तो बाढ़ का पानी सब बर्बाद कर देगा। गांव पिछले दो दशक से बाढ़ की समस्या से जूझ रहा है। पिछले साल एक हेक्टेयर से अधिक किसानों की भूमि गंगा की कटान में बह गई थी।
ग्रामीण मंजीत ने बताया कि अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। बाढ़ के कारण बीमार बच्चों को दवाई के लिए कस्बे तक ले जाने में भी परेशानी हो रही है। ग्रामीण रंजीत के अनुसार, गांव में पानी भर जाने पर उन्हें जानवरों के साथ सड़क किनारे शरण लेनी पड़ेगी। इन ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति प्रतिवर्ष होती है। यहां अधिकारी और कर्मचारी बाढ़ आने से पहले आते हैं लोगों से मिलते हैं और बात करते हैं। परंतु बाढ़ आने के बाद जब ग्रामीण समस्याओं से घिरे होते हैं तब कोई भी मददगार मदद के लिए नहीं आता। ऐसी स्थिति में आने जाने के साधन और रस्ताएं बंद हो जाती हैं। सिर्फ नाव ही सहारा बचता है। जिससे लोग दूर दराज की बाजारों तक पहुंचकर खाने पीने की वस्तुएं बहुत मुश्किल से अपने घरों तक पहुंचाते हैं।
कटरी क्षेत्र के इस गांव में गंगा नदी की बाढ़ के चलते अब कटान भी होना शुरू हो चुका है। जिससे इन किसानों की कृषि योग्य भूमि बर्बाद हो रही है। इन लोगों के पास आय का साधन खेती और पशुपालन ही है। परंतु बाढ़ के दौरान यह सब कुछ ठहर जाता है। पशु बीमार हो जाते हैं और खेतों की फसले बर्बाद हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के समस्त परिवारों को सहायता की जरूरत पड़ती है। अगर यह सहायता सरकार की तरफ से सही समय पर प्राप्त हो जाती है तो आने वाली परेशानियों का आंकड़ा कुछ कम हो जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि बीते वर्षों में जिलाधिकारी मोनिका रानी के समय में जो सहायता बाढ़ पीड़ितों को मिली थी वैसी सहायता का इंतजार आज भी किया जा रहा है।