फर्रुखाबाद। जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में अतिक्रमण माफियाओं के खिलाफ सख्त अभियान चलवाने के निर्देश दे रहे हैं, वहीं फर्रुखाबाद जिले में प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते मिशन अस्पताल और आवास विकास क्षेत्र में अतिक्रमण माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं।
फुटपाथ नहीं, व्यापार का अड्डा बन गया है अस्पताल के बाहर का इलाका
आवास विकास चौराहे से लेकर मिशन अस्पताल तक के मुख्य मार्गों पर फुटपाथ पूरी तरह अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। अस्पताल आने-जाने वाले मरीजों और तीमारदारों को रोज़ाना जाम, भीड़ और असुविधा से जूझना पड़ रहा है।
यहां ठेले, खोमचे, पक्के अतिक्रमण और मीट-मुर्गे की दुकानें तक सजी हुई हैं — सरकारी आदेशों की खुली अवहेलना करते हुए।
मिशन अस्पताल परिसर के पास ही ईसाई समुदाय का एक प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश जारी कर रखे हैं कि धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के दायरे में किसी प्रकार की मांस-मछली की दुकान, अस्वास्थ्यकर ठेले या अस्थायी दुकानें नहीं लगेंगी। लेकिन यहां हर दिशा में आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं।
हाल ही में अवास विकास क्षेत्र में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी गई थी। परंतु मिशन अस्पताल के पास के हालात अब भी जस के तस हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि,
“यहां साल में एक बार नाम मात्र की कार्रवाई होती है, फिर सब चुपचाप उसी जगह लौट आते हैं।”
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन के कुछ कर्मचारियों को ‘महीनेदारी’ के तौर पर मोटी रकम पहुंचाई जाती है, जिससे यह सारा अतिक्रमण बरकरार रहता है।
अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन, वरिष्ठ नागरिक, महिला रोगी — सभी को फुटपाथ की अनुपलब्धता, गंदगी और भीड़ के चलते अत्यधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
पैदल चलने की जगह न होने के कारण, सड़क हादसे का खतरा भी बना रहता है। स्कूली बच्चे, बुजुर्ग और दिव्यांग व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित हैं।
क्या धार्मिक स्थलों के निकट अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री का आदेश सिर्फ कागज़ों तक सीमित है?
क्या शहर के केंद्र में स्थित प्रमुख अस्पताल तक प्रशासन की निगरानी नहीं पहुंच रही?
कब होगी ठोस, स्थायी और निष्पक्ष कार्रवाई?
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि:
मिशन अस्पताल क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाए
धार्मिक स्थल के सम्मान और आदेश के तहत अवैध दुकानों को हटाया जाए
मासिक ‘निगरानी दल’ गठित कर स्थायी समाधान लागू किया जा रहा।
एक ओर मुख्यमंत्री प्रदेश को अतिक्रमण मुक्त करने का संकल्प दोहरा रहे हैं, दूसरी ओर फर्रुखाबाद जैसे शहरों में प्रशासनिक ढिलाई और भ्रष्टाचार से ये माफिया और भी मजबूत होते जा रहे हैं।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन वास्तव में जनहित में निर्णायक कार्रवाई करेगा, या यह मुद्दा भी हर साल की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।