– ठेकेदारों और बाबुओं की मिलीभगत से फर्जी बिलों का खेल, खजाना किया जा रहा खाली!
फर्रुखाबाद / कायमगंज। कभी पारदर्शिता और सेवा भाव की मिसाल रही कायमगंज नगर पालिका परिषद आज भ्रष्टाचार और लापरवाही की गर्त में जा चुकी है। बाबुओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से नगर पालिका का सरकारी धन खुलकर लुटाया जा रहा है। फर्जी बिलों के ज़रिए खजाने की लूट मची है, और जिम्मेदार अधिकारी आँखें मूंदे बैठे हैं — कुछ तो खुली आंखों से हिस्सेदारी कर रहे हैं।
एक दौर था जब पालिका की कमान समाजसेवा के प्रतीक डॉ. मिथिलेश अग्रवाल के हाथों में थी। उस समय विकास कार्यों में न केवल ईमानदारी थी, बल्कि जनता को हर खर्च की जानकारी पारदर्शिता से मिलती थी। पर आज की कहानी कुछ और ही है..
वर्तमान अध्यक्ष डॉ. शरद गंगवार, जो पहले बहुजन समाज पार्टी से जुड़े थे, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा का दामन थाम चुके हैं, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो उन्होंने केवल सत्ता के संरक्षण के लिए पार्टी की सदस्यता ली है।
डॉ. गंगवार ना पार्टी की बैठकों में शामिल होते हैं, ना कार्यक्रमों में, और ना ही उनकी नीतियों से खुद को जोड़ते हैं। यही कारण है कि पार्टी को ना उनके जुड़ने से बीते चुनाव में कोई लाभ मिला, ना ही भविष्य में मिलने की संभावना है।
पालिका में चल रही फाइलों पर एक नजर डालें तो समझ आता है कि ठेकेदारों और बाबुओं के बीच “कमीशन और मनमानी” का एक स्थायी समझौता बना हुआ है। बिना काम के भुगतान, घटिया निर्माण, बिना टेंडर के ठेके — सब कुछ आम बात हो गई है।
पार्टी कार्यकर्ताओं में भी डॉ. शरद गंगवार को लेकर गहरा असंतोष है। वे न तो कार्यकर्ताओं से संवाद करते हैं, न जनता के साथ। यह स्थिति भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को कमजोर कर रही है।
अब सवाल उठता है — क्या जिम्मेदार अधिकारी और सत्ताधारी दल इस लूट पर चुप बैठेंगे? क्या शरद गंगवार जैसे “नाम के भाजपाई” पार्टी की छवि को खराब नहीं कर रहे? और सबसे बड़ा सवाल — क्या कायमगंज की जनता को कभी फिर ईमानदार नगर पालिका देखने को मिलेगी?
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