फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer) नवदीप रिणवा ने प्रदेश के 119 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 21 जुलाई 2025 को अपने लखनऊ (Lucknow) स्थित कार्यालय में सुनवाई तिथि निर्धारित की थी। लेकिन तय समय पर केवल 25 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ही सुनवाई में उपस्थित हुए, जबकि शेष 94 दल अनुपस्थित रहे।
निर्वाचन आयोग ने इस स्थिति को गंभीर चूक मानते हुए आगे की कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा आयोजित इस सुनवाई में सभी दलों से अंशदान रिपोर्ट, वार्षिक लेखा परीक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट, और निर्वाचन व्यय विवरणी सहित अन्य अभिलेख मांगे गए थे। उपस्थित दलों के दस्तावेजों की गहनता से बिंदुवार जांच की गई।
चिंताजनक पहलू यह रहा कि उपस्थित हुए 25 दलों ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले 6 वर्षों में कोई भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है। इन दलों के प्रतिनिधियों को आयोग द्वारा पूर्व में स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि वे अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित प्रत्यावेदन, शपथपत्र और दस्तावेज प्रस्तुत करें और सुनवाई में अनिवार्य रूप से भाग लें।
सुनवाई में उपस्थित 25 प्रमुख राजनीतिक दल आदर्श लोकदल, फतेहपुर,आदर्श मानवतावादी पार्टी, लखनऊ,अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार पार्टी, वाराणसी,अखिल भारतीय विकास कांग्रेस पार्टी, लखनऊ,बहुजन विजय पार्टी, गोरखपुर,देशहित पार्टी, देवरिया,इंडिया राइजिंग पार्टी, कन्नौज,कठोर शासन पार्टी, बिजनौर,पूर्वांचल जनता दल, बलिया,राष्ट्रीय समाजवादी जनक्रांति पार्टी, गौतमबुद्ध नगर,राष्ट्रवादी प्रताप सेना, हापुड़,देशभक्त निर्माण पार्टी, मऊ,गांधी एकता पार्टी, वाराणसी,शांति मोर्चा, गाजियाबाद सहित कुल 25 दलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि 94 अनुपस्थित दलों को लेकर आयोग गंभीर है और उचित प्रक्रिया के तहत उनके पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है, ताकि केवल सक्रिय, उत्तरदायी और लोकतांत्रिक रूप से भागीदार दल ही पंजीकृत रह सकें।यह कदम राज्य में राजनीतिक पारदर्शिता और दायित्वपूर्ण संचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है। चुनाव आयोग का यह प्रयास यह सुनिश्चित करेगा कि अक्रियाशील दल केवल नाम मात्र के पंजीकरण के बल पर चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा न बने रहें।