हृदेश कुमार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सक्रिय 27 पंजीकृत राजनीतिक दलों का अस्तित्व संकट में आ गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने इन दलों को नोटिस जारी करते हुए उनके पंजीकरण निरस्त करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इन दलों ने पिछले 6 वर्षों में किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया, और इनके पंजीकृत कार्यालय पते भी फर्जी या अस्तित्वहीन पाए गए।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष शुक्ला के निर्देश पर सहायक निर्वाचन अधिकारी अभय किशोर द्वारा सभी 27 दलों को नोटिस भेजे गए हैं।
इन दलों को एक माह की समयसीमा दी गई है, जिसके भीतर उन्हें अपने संगठन के अस्तित्व और राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित दस्तावेज व स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा। समयसीमा बीतने और संतोषजनक जवाब न मिलने की स्थिति में पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा।
इन दलों पर है कार्रवाई प्रस्तावित
स्वराज पार्टी ऑफ इंडिया – 6 वर्षों से निष्क्रिय, दारुलसफा पते पर कोई कार्यालय नहीं मिला।
विकास पार्टी – 2019 से अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, दर्ज पता फर्जी।
वैचारिक क्रांति पार्टी – गौतम बुद्ध मार्ग पर पंजीकृत, कार्यालय अस्तित्वहीन।समान भागीदारी पार्टी – दीनदयाल नगर, खदरा,राष्ट्रीय जनवादी पार्टी क्रांतिकारी – इंदिरा नगर, पानी की टंकी,महिला सशक्तिकरण पार्टी – उद्यान प्लाजा, उतरेटिया,
अपना दल (अन्य गुट) – एपी सेन रोड,भारतीय जनमानस पार्टी, हाईटेक पार्टी, भारतीय क्रांति दल, बहुजन उत्थान पार्टी, भारतीय समुदाय पार्टी सहित कई अन्य दलों के पते या तो गलत पाए गए या उनके नाम पर वर्षों से कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं हुई है।
(कुल सूची में 27 दल शामिल हैं, कुछ का सत्यापन अभी जारी है।)
चुनाव आयोग की यह सख्ती उन नाम मात्र की पार्टियों पर है जो न तो जनप्रतिनिधित्व निभा रही हैं, न ही किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रही हैं। ऐसे दल अक्सर काले धन के लेन-देन, चुनावी फर्जीवाड़े और राजनीतिक चंदे के दुरुपयोग में उपयोग किए जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और राजनीतिक क्षेत्र में जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।
भारत निर्वाचन आयोग का यह निर्णय यह स्पष्ट संकेत देता है कि अब पंजीकरण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि सक्रिय लोकतांत्रिक भागीदारी की शर्त होगी।