शरद कटियार
उत्तर प्रदेश की धरती आज पर्यावरण चेतना की ऐतिहासिक मिसाल बनती जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत पौधारोपण कर न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया, बल्कि भावनाओं और प्रकृति को एक आत्मीय सूत्र में पिरोने का कार्य भी किया गया।
इस अभियान के तहत मंगलवार को पूरे प्रदेश में 37 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह केवल एक प्रशासनिक पहल नहीं है, बल्कि यह भविष्य को हरित, स्वच्छ और जीवनदायी बनाने की एक सशक्त सांस्कृतिक चेतना भी है। योगी आदित्यनाथ द्वारा यह कहना कि “मां के नाम एक पेड़ लगाना केवल भावनात्मक जुड़ाव नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ पर्यावरण की सौगात है”, अपने आप में इस मुहिम की गहराई को रेखांकित करता है।
अभी तक इस अभियान के अंतर्गत 14.80 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यदि सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक एक साथ कदम बढ़ाएं तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। स्कूल, गांव, अस्पताल, सरकारी कार्यालय—हर जगह यह हरियाली की बयार अब बदलाव का संकेत बन चुकी है।
सरकार के 26 विभागों की सक्रिय भागीदारी, स्थानीय निकायों की मेहनत, और जनसामान्य की सहभागिता इस वृक्षारोपण अभियान को एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि जनांदोलन बना रही है। स्कूली बच्चों से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तक की भागीदारी दर्शाती है कि यह चेतना अब समाज की जड़ों तक पहुंच चुकी है।
यह बात समझना आवश्यक है कि वृक्षारोपण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि पर्यावरणीय आपातकाल से निपटने का सशक्त माध्यम है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ता प्रदूषण और घटता जलस्तर—इन सभी समस्याओं का समाधान कहीं न कहीं हरियाली के विस्तार से जुड़ा है। जब एक पेड़ को ‘मां’ के नाम समर्पित किया जाता है, तो उसमें भावनात्मक उत्तरदायित्व भी जुड़ जाता है। अब यह केवल पेड़ नहीं रहता, यह एक वचन बन जाता है—संरक्षण का, सेवा का, और सतत विकास का।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई अपील—“हर व्यक्ति वर्ष में कम से कम एक पौधा लगाए और पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करे”—सिर्फ एक निवेदन नहीं, यह एक उत्तरदायित्व है, जिसे हर नागरिक को निभाना होगा।
समाज तब जागरूक होता है जब योजनाएं दिल को छूती हैं। ‘मां के नाम एक पेड़’ एक ऐसी ही पहल है, जो हमें भावनात्मक रूप से जोड़ती है, पर्यावरणीय रूप से जागरूक बनाती है और सामूहिक रूप से उत्तरदायित्व निभाने के लिए प्रेरित करती है।
हमें इस अभियान को केवल आज के वृक्षारोपण तक सीमित नहीं रखना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर पौधा पेड़ बने, और हर पेड़ पर्यावरण की ढाल।
यह अभियान केवल वृक्ष लगाने का नहीं, वृक्ष बचाने का भी है—और यही इसकी असली सफलता होगी।

शरद कटियार


