शरद कटियार
26 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा दिया गया बयान “जो सिंदूर मिटाएगा, उसका मिटना तय है” केवल एक राजनीतिक (political) वाक्य नहीं था, बल्कि यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, सैन्य संप्रभुता और सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक बन गया है। यह वक्तव्य उस मानसिकता को चुनौती देता है जो भारत की एकता, अखंडता और महिला सम्मान के प्रतीकों पर प्रहार करती है। प्रधानमंत्री (Prime Minister) का यह भाषण केवल भीड़ में उत्साह भरने वाला नारा नहीं था, बल्कि यह भारत की विदेश नीति और सैन्य रणनीति में आए बदलाव का स्पष्ट संकेत भी था।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख किया, वह पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत की सटीक और समयबद्ध सैन्य कार्रवाई थी। यह ऑपरेशन आतंक के विरुद्ध भारत के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का परिणाम है, जिसमें बताया गया कि देश की सीमाओं पर बगैर चेतावनी के जवाब दिया जाएगा। सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्तान को मात्र 30 मिनट पूर्व ही दे दी गई थी, जिससे भारत की सैन्य दक्षता और आत्मविश्वास स्पष्ट होता है।
यह बयान उस समय आया है जब देश में चुनावी माहौल है। ऐसे में प्रधानमंत्री का यह तीखा और सांस्कृतिक रूप से गूंजता हुआ वक्तव्य सीधे जनता की भावना से जुड़ता है। ‘सिंदूर’ नारी सम्मान और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, और इस प्रतीक पर हमला, पूरे समाज के आत्मसम्मान पर हमला माना गया। ऐसे में प्रधानमंत्री का यह कहना कि “जो सिंदूर मिटाएगा, उसका मिटना तय है” – एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पहले आघात की नीति अपनाएगा।
बीते एक दशक में भारत की सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव देखा गया है। पहले जहां आतंकवादी हमलों पर केवल राजनयिक विरोध दर्ज किया जाता था, अब भारत सीमापार जाकर ठोस कार्रवाई करता है। बालाकोट एयर स्ट्राइक और अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी नीति के उदाहरण हैं। भारत अब रणनीतिक धैर्य नहीं, रणनीतिक सक्रियता की नीति अपना चुका है।
प्रधानमंत्री के वक्तव्य में ‘सिंदूर’ शब्द का प्रयोग केवल सैन्य अभियान के नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्त्री सम्मान का भी प्रतिनिधित्व करता है। भारत में सिंदूर केवल एक श्रृंगार नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्य और परिवार की गरिमा का प्रतीक है। आतंकियों द्वारा निर्दोष नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाना, इस सम्मान के विरुद्ध युद्ध जैसा है। इसलिए प्रधानमंत्री का यह भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से प्रभावशाली बयान जनमानस को सीधे छूता है।
जहां एक ओर इस बयान को राष्ट्रवाद की भावना से भरपूर बताया जा रहा है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी स्टंट मानता है। कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री हर मुद्दे को भावनात्मक बनाकर जनता की सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं। हालांकि, जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तब सरकार की हर रणनीति को केवल चुनावी चश्मे से देखना न्यायसंगत नहीं है।
देश की जनता ने इस बयान को गर्व और विश्वास के साथ लिया है। विशेषकर ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच यह बयान अत्यंत प्रभावी रहा है। सोशल मीडिया पर भी यह बयान ट्रेंड कर रहा है, और कई लोगों ने इसे भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया है। युवाओं में राष्ट्रभक्ति और सेना के प्रति सम्मान की भावना भी इस बयान से और मजबूत हुई है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह भी सिद्ध किया कि भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक वैश्विक निर्णायक शक्ति बन चुका है। पाकिस्तान को 30 मिनट पूर्व सूचना देकर भी भारत ने सफलता प्राप्त की, यह सैन्य आत्मविश्वास और तकनीकी सक्षमता का प्रतीक है। साथ ही, इससे यह भी संदेश गया कि भारत अब किसी भी प्रकार की उकसावे वाली गतिविधि को सहन नहीं करेगा।
मीडिया ने प्रधानमंत्री के बयान को प्रमुखता दी है। खासतौर पर स्थानीय और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इसे जनता की आवाज़ से जोड़कर प्रस्तुत किया है। जनता ने इस बयान को एक ‘भावनात्मक संकल्प’ की तरह स्वीकार किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर अभी भी जनभावना प्रबल है।
भारत की विदेश नीति में यह स्पष्ट हो चुका है कि अब हम ‘रक्षात्मक नहीं, आक्रामक सुरक्षा नीति’ अपनाते हैं। अमेरिका, रूस, इज़राइल जैसे देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी और खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान, इस तरह के ऑपरेशन को सफल बनाने में सहायक रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और संस्कृति की रक्षा की घोषणा है। यह वक्तव्य नारी सम्मान, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति के तिकोने समीकरण को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। भारत अब बदल चुका है – अब यह राष्ट्र प्रतीक्षा नहीं करता, बल्कि पहल करता है। आतंकवाद के प्रति उसकी नीति अब स्पष्ट, कठोर और निर्णायक है। ‘जो सिंदूर मिटाएगा, उसका मिटना तय है’ – यह केवल शब्द नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान का घोषणापत्र बन चुका है।
शरद कटियार
प्रधान संपादक, दैनिक यूथ इंडिया