34 C
Lucknow
Thursday, July 3, 2025

अव्यवस्था का केन्द्र बना डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, हर ओर फैली बदहाली

Must read

– डॉक्टरों की कमी, दवाओं का संकट, बिजली-बुनियादी सुविधाओं का टोटा, मरीज बेहाल

फर्रुखाबाद। जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल—डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय—इन दिनों अव्यवस्थाओं का केन्द्र बन गया है। यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को हर कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि अस्पताल के हर विभाग में किसी न किसी तरह की समस्या देखने को मिल रही है, जिससे जनता में रोष और निराशा दोनों का माहौल बनता जा रहा है।

सरकार द्वारा लागू किया गया ऑनलाइन पर्चा सिस्टम मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है। पर्चा काउंटर पर इंटरनेट बार-बार बाधित होता है, जिससे पर्चा बनने में घंटों की देरी होती है। इसके चलते मरीजों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। कई बार वृद्ध और बीमार मरीज लाइन में ही बेसुध हो जाते हैं।

अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या आवश्यकता से काफी कम है। ओपीडी में मरीजों की तादाद सैकड़ों में होती है, जबकि चिकित्सकों की संख्या सीमित होने से एक-एक डॉक्टर के पास पचासों मरीजों का दबाव रहता है। इसके चलते ना तो मरीजों को समुचित परामर्श मिल पाता है और ना ही इलाज की गुणवत्ता सुनिश्चित हो पाती है।

अस्पताल में बिजली की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अक्सर बिजली गुल रहती है, और जनरेटर होने के बावजूद चालू नहीं किया जाता। सूत्रों के अनुसार जनरेटर के डीजल की खरीद तो होती है, लेकिन वह कहां जाता है, यह किसी को नहीं पता। मरीजों के लिए गर्मी के मौसम में यह स्थिति और भी कष्टप्रद बन जाती है।

अस्पताल के दवा वितरण केंद्र पर भीड़ हमेशा बनी रहती है। दवाएं समय से नहीं मिलतीं और कभी-कभी जरूरी दवाएं उपलब्ध ही नहीं होतीं। वहीं सफाई व्यवस्था नाममात्र की है। कई वार्डों में शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं और संक्रमण का खतरा लगातार बना रहता है।

अस्पताल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था होने के बावजूद लोग मनमाने तरीके से वाहन परिसर के भीतर खड़े कर देते हैं, जिससे मरीजों और एम्बुलेंस को आने-जाने में कठिनाई होती है। कई बार इस अव्यवस्था के कारण परिसर में धक्का-मुक्की और विवाद की स्थिति भी बन जाती है।

इन सभी अव्यवस्थाओं को लेकर जब अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा जाता है, तो कोई भी अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने को तैयार नहीं होता। न ही कोई सुधारात्मक कदम नजर आ रहा है।

जिले भर से आने वाले गरीब और ग्रामीण मरीजों के लिए लोहिया अस्पताल एकमात्र सहारा है, लेकिन यहां की बदहाल स्थिति उनके लिए एक और मुसीबत बन गई है। अगर शीघ्र ही हालात नहीं सुधारे गए, तो किसी बड़ी दुर्घटना या जनआक्रोश से इनकार नहीं किया जा सकता।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article