नगर में रही गोवर्धन पूजा की धूम, घर घर में पूजे गए प्रतीक रूप गोवर्धन, भंडारे हुए

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फर्रुखाबाद। शहर के मंदिरों में गोवर्धन पूजा विधि विधान पूर्वक की गई। राधा माधव मंदिर घमंडी कूंचा, महाकाल मंदिर, कोतवालेश्वर नाथ मंदिर राधा श्याम शक्ति मंदिर, गौशाला टोक घाट, व अन्य मंदिरों में गोवर्धन पूजा की गई।
बताते चलें कि गोवर्धन पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करने की याद में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा प्रकृति और गायों की रक्षा का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाया था। यह पर्व हमें प्रकृति की सेवा और संरक्षण का महत्व सिखाता है।
गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाये गयेऔर उसकी पूजा रोली, अक्षत, चावल, बताशा, नैवेद्य, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, खीर, सरसों के तेल का दीपक, गाय का गोबर, गोवर्धन पर्वत की फोटो, दही, शहद, धूप-दीप, कलश, केसर, फूल की माला, कृष्ण जी की प्रतिमा या तस्वीर के माध्यम से की गई।
इस अवसर पर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, और उन्हें विभिन्न वस्तुओं का भोग लगाएं।
प्रतीकतात्क गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें और आरती गाई
गोवर्धन पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।यह पूजा सुख और शांति का प्रतीक है, और इसे करने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।गोवर्धन पूजा प्रकृति की रक्षा का प्रतीक है, और इसे करने से प्रकृति की रक्षा होती है।घरों में प्रत्येक रूप गोवर्धन बनाकर घर-घर में पूजन हुआ।

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