शरद कटियार
“प्रेम में दूरी का भी एक अद्भुत सौंदर्य होता है।”
जब हम किसी को बेहद चाहते हैं, तो स्वाभाविक रूप से हम उसके समीप रहना चाहते हैं, उसके साथ हर क्षण बिताना चाहते हैं। लेकिन यहीं पर अक्सर प्रेम अपनी कोमलता खोने लगता है। यह एक गूढ़ सत्य है कि जब हम अत्यधिक समीप होते हैं, तो वह रहस्य, वह आकर्षण, और वह आदर धीरे-धीरे कम होने लगता है।
जब हम दूर होते हैं, तो हम सामने वाले की अच्छाइयों को देख पाते हैं – उसके शब्दों में मिठास, उसकी मुस्कान में अपनापन, और उसके स्पर्श में सुकून। लेकिन जब हम हर रोज़, हर पल उसके साथ होते हैं, तब वही चीजें साधारण लगने लगती हैं। धीरे-धीरे उसकी आदतें, कमियाँ, और कमजोरियाँ अधिक स्पष्ट दिखने लगती हैं।
यही वह समय होता है, जब प्रेम की जगह आलोचना जन्म लेती है, और निकटता में बनी वह कोमल डोर तनने लगती है।
सच्चा प्रेम किसी के साथ हर वक्त रहने से नहीं, बल्कि उसके अस्तित्व को सम्मान देने से जन्म लेता है। एक सीमा की दूरी प्रेम में मर्यादा बनाए रखती है।
हर व्यक्ति में कुछ दोष होते हैं। जब आप दूर होते हैं, तो आपके मन में आदर्श की एक छवि बनती है – एक परिपूर्ण साथी की। लेकिन जैसे ही आप उसकी दिनचर्या, विचार, भावनात्मक उतार-चढ़ाव का हिस्सा बनते हैं, वैसे ही वह “परिपूर्णता” का भ्रम टूटने लगता है।
यही वह मोड़ होता है जहाँ अगर दूरी न हो, तो प्रेम टूटने की कगार पर आ सकता है
हर रिश्ते को सांस लेने के लिए जगह चाहिए। एक पौधे को भी पनपने के लिए खुली हवा और धूप चाहिए, वैसे ही प्रेम को भी।
हर क्षण साथ रहकर कोई भी रिश्ता दम घुटने जैसा महसूस कर सकता है। जबकि थोड़ी सी दूरी, थोड़ी अनुपस्थिति रिश्ते में चाहत बनाए रखती है।
“कभी-कभी दूरी, दिल को पास लाने का सबसे अच्छा तरीका होती है।”
यह जरूरी नहीं कि किसी से प्रेम करने के लिए आपको उसके हर पल के साथ की जरूरत हो।
कभी-कभी उस व्यक्ति की मुस्कान की कल्पना ही आपको सुकून देती है। कभी उसके शब्दों की याद ही दिन को खास बना देती है।
दूरी रिश्ते को परखने का माध्यम भी होती है – अगर प्रेम सच्चा है, तो वह दूरी में भी नहीं घटता।
“जिससे बहुत प्रेम हो, उसके ज्यादा समीप मत रहिए”, यह कोई दूरी की सलाह नहीं है, बल्कि प्रेम में संतुलन और सम्मान बनाए रखने की बात है।
बहुत अधिक समीपता कभी-कभी प्रेम की पवित्रता को भंग कर देती है। इसलिए प्रेम में मर्यादा, दूरी, और सम्मान – यह तीन स्तंभ जितने मजबूत होंगे, रिश्ता उतना ही स्थायी और मधुर होगा।
प्रेम की गहराई में डूबें, लेकिन उसमें खुद को खोने न दें। दूरी को दुश्मन नहीं, प्रेम का एक सुरक्षात्मक कवच समझें।
