कानपुर: उत्तर प्रदेश पुलिस की अंदरूनी जांच और हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद सामने आया मामला पुलिस व्यवस्था में गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। Kanpur में इंस्पेक्टर (inspector) संतोष शुक्ला और पूर्व सनिगवां चौकी प्रभारी अंकित खटाना सहित अन्य अधिकारियों और 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ उनके ही थाने में डकैती, चोरी, तोड़फोड़, मारपीट और दंगा कराने सहित सात गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्यवाही मंगलवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद की गई।
मामले के विवरण के अनुसार, आरोप है कि पुलिस ने जमीन विवाद में एक पक्ष को फायदा पहुंचाने के लिए जबरन कब्जा कराया। आरोपियों ने न केवल जमीन पर कब्जा किया, बल्कि वहां से डेढ़ करोड़ रुपये मूल्य के सामान, नकदी और जेवरात भी जबरन ट्रक में भरकर ले गए। इस दौरान पीड़ित परिवार के सदस्यों से मारपीट की गई और उन्हें शांति भंग में चालान भी किया गया।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि कोर्ट में ट्रायल चल रहा था, बावजूद इसके पुलिस ने दूसरे पक्ष को जमीन पर जबरन कब्जा दिला दिया। घटना की गंभीरता को देखते हुए खुद के थाने में ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, जो कि कानपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल स्थानीय विवाद नहीं बल्कि पुलिस विभाग की आंतरिक जवाबदेही और न्यायिक प्रक्रिया के प्रति गंभीर लापरवाही का उदाहरण है। अब यह देखना होगा कि हाई कोर्ट और राज्य प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से इस मामले पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।