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Monday, October 27, 2025

मुख्यमंत्री के आदेश से ऊपर डीआईओएस नरेन्द्र पाल का आदेश

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जिलाधिकारी द्वारा बनाई गई कमेटी में मनमानी, नियम विरूद्व तरीके से जीआईसी फर्रूखाबाद में तैनात लिपिक को अपने दफ्तर में बैठाकर कराते काम, डिग्री कालेजों के अमान्य विषयों की जांच और भौतिक सत्यापन बना मखौल

यूथ इंडिया (शरद कटियार)

फर्रूखाबाद: कानून व्यवस्था और शिक्षा के व्यापक सुधार के लिए दिन रात जू रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के ऊपर जिले में तैनात जिला विद्यालय निरीक्षक नरेन्द्र पाल सिंह (DIOS Narendra Pal singh) के आदेश चलते शिक्षा माफियाओं को बचाने के लिए वह उच्च न्यायालय इलाहाबाद तक को गुमराह करने में कसर नही छोडते। पूछे जाने पर बताते है कि स्टाफ कम होने के कारण उन्हें दूसरी जगह तैनात लिपिक से काम कराना पडता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के क्रम में जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने एक कमेटी बनाकर जनपद के सभी महा विद्यालयों में अमान्य विषयों की जांच कराने और भौतिक सत्यापन का जिम्मा जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपा था। जो कि सह जिला विद्यालय निरीक्षक एपी सिंह अपने पर्यवेक्षण में करा रहे है। ऐसे में जिला राजकीय विद्यालय फर्रूखाबाद में तैनात लिपिक राजेश अग्रिहोत्री जोकि शिक्षा माफिया कथित वकील अवधेश मिश्रा का बेहद करीबी है उसे अवैध रूप से इस महत्वपूर्ण जांच का न केवल जिम्मा दिया बल्कि सह जिला विद्यालय निरीक्षक एपी सिंह के कमरे में बैठकर खुलेआम काम करने की छूट भी दी। जबकि उसकी तैनाती जीआईसी फर्रूखाबाद में है और डीआईओएस कार्यालय की सम्बंद्वता का कोई नियम भी नही है।

बता दें कि लिपिक राजेश अग्रिहोत्री कई वर्षो तक जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात रहा। जिसके कारण उसके सूत्र जनपद के सभी डिग्री कालेजों से लेकर इंटर कालेजों तक हैं। डिग्री कालेजों में अमान्य विषयों के भौतिक सत्यापन का काम मुख्यमंत्री के आदेशों के कारण अति महत्वपूर्ण है। जांच कमेटी के अध्यक्ष स्वयं जिलाधिकारी है। इसके बाबजूद बेखौफ होकर जिला विद्यालय निरीक्षक नरेन्द्र पाल सिंह भौतिक सत्यापनों की फाइलें अवैध रूप से ऐसे लिपिक के हवाले किये। जो डीआईओएस कार्यालय में ही तैनात नही है।

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में डीआईओएस के पद पर तैनात तो नरेन्द्र पाल सिंह हैं लेकिन यहां चलती लिपिक राजेश अग्रिहोत्री सह जिला विद्यालय निरीक्षक एपी सिंह और दागी लिपिक राजीव यादव की है। क्योकि इन तीनों की नबज कथित वकील अवधेश मिश्रा को हाथ में है। लिपिक राजेश यादव ने अवधेश मिश्रा के नवावगंज चांदपुर स्थित एसकेएम इंटर कालेज की मान्यता प्रत्याहरण के मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद तक को गुमराह कर निदेशक शिक्षा को गलत रिपोर्ट डीआईओएस नरेन्द्र पाल सिंह द्वारा भिजवाकर पूरा लाभ दिया और तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देशों पर उप जिलाधिकारी कायमगंज तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक व तत्कालीन जिला वेसिक शिक्षा अधिकारी की संयुक्त रिपोर्ट को झूंठा साबित कर एसकेएम इंटर कालेज के प्रबंधक अवधेश मिश्रा को क्लीन चिट दिला दी थी।

जबकि अवधेश मिश्रा द्वारा अवैध रूप से एक ही भवन में एसकेएम इंटर कालेज और कृष्णा पब्लिक स्कूल की मान्यता लेकर संचालित किया जा रहा था। जो आज भी अनवरत जारी है और तीन उच्चाधिकारियों द्वारा की गई जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी अकेले जिला विद्यालय निरीक्षक नरेन्द्र पाल सिंह ने इन लिपिकों के इशारे पर दोबारा जांच कर पूर्व में की गई जांच को झुठला दिया था और अपनी दूसरी रिपोर्ट निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेज शिक्षा का मखौल उडा दिया गया।

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