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Tuesday, December 23, 2025

भगवान कृष्ण जन्म और बालि वध की कथा सुन भावविभोर हुए भक्त

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फर्रुखाबाद: गंगानगर (Ganganagar) में चल रहे बीसवें भागवत एवं मानस ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस मानस विद्वान डा.रामबाबू पाठक ने सीता की खोज भगवान राम बस सुग्रीव की मित्रता और बाल पद की कथा सुनाई। वहीं भागवत कथा व्यास शिव शरण अग्निहोत्री ने कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म का प्रसंग भागवत के माध्यम श्रवण कराया। दोनों ही कथाओं को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।

भागवत कथा व्यास आचार्य शिव शरण अग्निहोत्री ने कहा कि उन दिनों कंस का अत्याचार बढ़ रहा था उसने अपने पिता उग्रसेन राज गद्दी से उतर कर स्वयं राज्य पर कब्जा कर लिया और प्रजा पर अत्याचार करने लगा। कंस के अत्याचार से धरती अकुलाने लगी तब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ वह भी कंस की प्रिय बहन देवकी वसुदेव के माध्यम से भगवान कृष्ण अवतरित हुए। कंस अपनी बहन को विदा करने जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तू इतनी प्रेम से विदा करने जा रहा है उसी की आठवीं संतान से तेरा वध होगा। तो कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया वहां पर उनके संतान हुई जिनका वह वध कर देता रहा।

भादो मास की अष्टमी को भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ वसुदेव के बंधन खुल गए और वह नवजात को गोकुल छोड़ आए वहां से यशोदा की पुत्री को अपने साथ ले आए कंस ने उसका भी वध करना चाहा तो वह कन्या आकाश में उड़ गई और आकाशवाणी हुई कि तेरा वध करने वाला पैदा हो चुका है जिस पर कंस नाना प्रकार से भगवान कृष्ण को वध करने का प्रयास करने लगा।

मानस की कथा व्यास को आगे डॉक्टर रामबाबू पाठक ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सीता की खोज में भगवान श्री राम और लक्ष्मण 11 भटक रहे थे तभी वह ऋषि अमूक पर्वत के पास पहुंचे जहां अपने भाई बाली के दर से रह रहे सुग्रीव ने जब उन्हें अपने क्षेत्र में देखा तो श्री हनुमान जी से कहा कि शायद बाली ने इन लोगों को मेरा वध करने के लिए भेजा है आप जाइए और पता कीजिए कि यह लोग कौन हैं। तब हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण करके भगवान के समक्ष पहुंचे परिचय पूछा और जब उन्हें मालूम पड़ा की भगवान राम भगवान विष्णु जी के अवतार हैं तो वह उनके पैरों पर पड़ गए और उन्हें बुलाकर सुग्रीव के पास ले गए भवन का परिचय कराया सुग्रीव ने अपनी आप बीती सुनाई तो उन्होंने मित्रता कर ली और कहा कि धर्म की रक्षा के लिए वह बालि का वध करेंगे।

अपने मित्रता और वचन को निर्वाह करते हुए भगवान राम ने बालिका वध कर दिया तब बाली ने पूछा कि उनकी और भगवान राम की कोई शत्रुता नहीं थी फिर उन्होंने उसका क्यों बाद किया है तब भगवान राम ने कहा कि अनुज वधु भगिनी सुत नारी सुन सठ कन्या सम ये चारी,इनहिं कुदृष्टि विलोकहि जोई ,ताहि वंदे कछु पाप न होई। इसी प्रसंग के साथ सोम की कथा ने विराम प्राप्त किया।

इस अवसर पर कथा का संचालन महेश पाल सिंह उपकारी ने किया। कार्यक्रम की व्यवस्था में विभोर सोमवंशी , अनमोल मिश्रा अवधेश पांडेय ,ऋषिपाल सिंह, अमित बाजपेई, बृज नारायण दुबे ,कुशल पाल सिंह ,निर्दोष शुक्ला, अरविंद चौहान , रामबाबू मिश्रा, नील कमल ने योगदान दिया। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश संगठन मंत्री मुकेश गुप्ता, महिला जिलाध्यक्ष प्रीति पवन तिवारी, जिला अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, वरिष्ठ पदाधिकारी जितेंद्र अग्रवाल व अन्य पदाधिकारियों ने कथा व्यास का सम्मान किया हुआ कथा का श्रवण किया।

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