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Sunday, September 7, 2025

बेहटा बल्लू में गंगा की कटान से तबाही: सदियों पुराना बट वृक्ष और सरकारी भवन गंगा में समाए, ग्रामीणों में दहशत

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शमशाबाद, फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद जनपद के शमशाबाद क्षेत्र स्थित बेहटा बल्लू (Behta Ballu) गांव में गंगा (Ganga) नदी की लगातार हो रही कटान ने गंभीर हालात पैदा कर दिए हैं। बाढ़ का पानी और गंगा के रौद्र रूप ने इस ऐतिहासिक गांव को तबाही की कगार पर ला खड़ा किया है। कटान की चपेट में आकर सदियों पुराना विशालकाय बट वृक्ष, पाकड़ का पेड़, कई ग्रामीण मकान, एक सार्वजनिक शौचालय, और कूड़ा निस्तारण केंद्र गंगा में समा चुके हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि ग्रामीण दहशत में हैं, जबकि प्रशासन पूरी तरह बेखबर नजर आ रहा है।

ढाई घाट शमशाबाद की ओर से आने वाली गंगा की धारा ने बेहटा बल्लू गांव को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। कटान की रफ्तार इतनी तेज़ है कि हर दिन कोई न कोई नया हिस्सा गंगा में समा रहा है। मंगलवार को गांव के बाहर स्थित सदियों पुराना बट वृक्ष, जो स्थानीय पहचान बन चुका था, देखते ही देखते कटकर गंगा में समा गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भारी भरकम पाकड़ का एक और पेड़ भी अचानक ढहकर पानी में समा गया, जिससे आसपास मौजूद ग्रामीणों में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी झोपड़ियां और घर लगातार खतरे में हैं, कुछ मकान पहले ही कट चुके हैं, और बाकी अब चंद कदम दूर हैं।

इस विनाशकारी कटान में एक सार्वजनिक शौचालय और कूड़ा निस्तारण केंद्र पूरी तरह गंगा में समा चुके हैं। कई सरकारी भवन भी कटान की जद में आ चुके हैं। इसके बावजूद कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर हालात का जायजा लेने नहीं पहुंचा है। ग्रामवासियों में रोष और मायूसी का माहौल है।

केवल बेहटा बल्लू ही नहीं, बल्कि पड़ोसी गांव मलू का नगला और ग्राम समोचीपुर चितार भी जलसैलाब की चपेट में हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सिजबान ने बताया कि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, और अब खेत-खलिहान से लेकर घरों तक पानी घुस चुका है। लोग अपने घर छोड़कर ढाई घाट शमशाबाद मार्ग के किनारे अस्थाई झुग्गियां बनाकर शरण ले रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि न कोई राहत, न कोई अधिकारी, सब मौन हैं। समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों से भी कोई मदद नहीं मिल रही, जिससे जनता खुद को पूरी तरह बेसहारा महसूस कर रही है। ढाई घाट शमशाबाद-शाहजहांपुर मार्ग पर भी दो-दो फीट तक पानी बहता हुआ देखा जा सकता है। दुपहिया वाहन चालकों को वैकल्पिक रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है। यही नहीं, इस मार्ग पर कुछ लोग 50-50 रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं, जिससे बाढ़ से पीड़ित जनता और अधिक परेशान है।

एक लंबे समय से लगातार हो रही इस तबाही से तंग आकर ग्रामीणों ने अब गंगा मैया की पूजा-अर्चना शुरू कर दी है, और ईश्वर से जल्द जलसैलाब से निजात दिलाने की कामना कर रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन तत्काल संज्ञान ले, राहत सामग्री भेजे, और कटान को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

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