– लेकिन राजकोषीय अनुशासन बरकरार
– पांच साल में राज्य का ऋण छह से बढ़कर नौ लाख करोड़ होने का अनुमान
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (UP) में विकास की रफ्तार के साथ ही ऋण (loan) का बोझ भी बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में राज्य पर कुल ऋण नौ लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। बीते पांच वर्षों में यह आंकड़ा छह लाख करोड़ से बढ़कर नौ लाख करोड़ तक पहुंच गया है। इसका सीधा असर यह है कि प्रदेश के हर नागरिक पर औसतन 37,500 रुपये का ऋण है।
हालांकि, इतनी बड़ी उधारी के बावजूद राज्य का राजकोषीय घाटा 2.97 प्रतिशत पर बना हुआ है, जो कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तीन फीसदी की सीमा के भीतर है। वित्त आयोग और विशेषज्ञों का मानना है कि ऋण का बढ़ना हमेशा नकारात्मक नहीं होता, यदि उसका उपयोग सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी अवसंरचना पर किया जाए।
वित्त आयोग के अनुसार, राजस्व घाटे की सीमित स्थिति और लगातार बढ़ते बजट का आकार इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार पर कुल ऋण 7.76 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर नौ लाख करोड़ के पार पहुंचने वाला है। राज्य वित्त आयोग का यह भी कहना है कि यदि ऋण का उपयोग पारदर्शी तरीके से और पुनर्भुगतान की योजना के साथ किया जाए, तो यह आर्थिक विकास को गति देने में सहायक होता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2012-13 में जब सपा सत्ता में आई थी ताे राज्य का कुल ऋण 225 हजार करोड़ (2,25,123 रुपये) रुपये था, जो 2017 में योगी सरकार के आने तक 31 मार्च तक बढ़कर करीब 375 हजार करोड़ ( 3,75,049 रुपये) करोड़ रुपये हो गया था।