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Saturday, June 21, 2025

खूंखार बंदरों का कहर: शमशाबाद क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त

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फर्रुखाबाद, शमशाबाद: शमशाबाद (Shamshabad) क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में खूंखार बंदरों (monkeys) की बेतहाशा बढ़ती संख्या ने किसानों, बागवानों और ग्रामीण महिलाओं का जीना मुश्किल कर दिया है। खेत-खलिहानों से लेकर आम के बागों और घरों की छतों तक, हर जगह बंदरों का आतंक साफ नजर आ रहा है। यह संकट अब ग्रामीणों के लिए महज परेशानी नहीं, बल्कि जान-माल का खतरा बन चुका है।

ग्रामीणों का कहना है कि बंदरों का झुंड खेतों और आम के बागों में घुसकर फसल और फल को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। आम के पेड़ों पर लटकते और पके आमों को नोचते बंदर किसानों की सालभर की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। एक ओर जहां किसान और बागवान आम की अच्छी आमद को लेकर खुश थे, वहीं अब इन खूंखार बंदरों ने आम की फसल को नुकसान पहुंचाकर हजारों-लाखों की कमाई पर संकट खड़ा कर दिया है।

ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। बंदरों के डर से महिलाएं घर की छत पर कपड़े नहीं सुखा पा रही हैं और रसोई में भी हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई बंदर न घुस आए। कई बार बंदर घरों में घुसकर बच्चों और महिलाओं पर हमला भी कर चुके हैं। ग्रामीणों ने बंदरों को भगाने के लिए गुलेल और गुफनी जैसी पारंपरिक विधियां अपनाई हैं। इनसे कुछ हद तक डराकर बंदरों को भगाया भी गया, परंतु जब बंदरों का झुंड एक साथ हमला करता है तो स्थिति काबू से बाहर हो जाती है। बंदर न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि हमला कर इंसानों को घायल भी कर चुके हैं।

कुइयां खेड़ा, कुइयां धीर, कुइयां संत, पसियापुर, हजियापुर, नगला सेठ, मुरैठी, रजला मई, किसरोली, फरीदपुर, सैद बाड़ा जैसे दर्जनों गांव बंदरों के आतंक से बुरी तरह पीड़ित हैं। सैकड़ों की संख्या में बंदरों के झुंड गांवों में घूमते दिखाई देते हैं, जिनसे ग्रामीणों का जीवन असुरक्षित होता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन ने बंदरों को पकड़ने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। हालांकि, विगत वर्ष नगर पंचायत शमशाबाद द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए बाहर से टीम बुलाकर जाल लगवाए गए थे, जिससे अस्थायी राहत तो मिली थी, पर अब फिर हालात पहले से बदतर हो गए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन चाहे तो बंदर पकड़ने वाले विशेषज्ञों को बुलाकर इस संकट का समाधान किया जा सकता है। यह जरूरी हो गया है कि जंगलों में छोड़ने की उचित व्यवस्था के साथ बंदरों को पकड़वाया जाए। बंदरों से परेशान ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से अभियान चलाकर खूंखार बंदरों को पकड़ा जाए, ताकि फसलें, आम के बाग, महिलाएं और बच्चे सुरक्षित रह सकें। गांवों में बंदरों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे भविष्य और भी भयावह नजर आने लगा है।

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