– कथक नृत्य कार्यशाला का समापन, बच्चों ने सीखी पारंपरिक कथक की बारीकियाँ
फर्रुखाबाद: भारतीय शास्त्रीय कला की गौरवशाली परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन कथक नृत्य कार्यशाला (dance workshop) (2025-26) का समापन शनिवार को ज्ञानफोर्ड स्कूल, आवास विकास कॉलोनी, फर्रुखाबाद (Farrukhabad) में हुआ।
कार्यशाला का नेतृत्व कथक की प्रशिक्षिका अंजलि चौहान ने किया, जो उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी से जुड़ी रही हैं और कथक नृत्य में विशिष्ट अनुभव रखती हैं। 14 जून से 21 जून तक चली सात दिवसीय इस कार्यशाला में विभिन्न आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने ताल, भाव, मुद्राएँ और प्रस्तुति की परंपरागत तकनीकों को गहराई से सीखा।
कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आकांक्षा समिति की अध्यक्ष डॉ. वंदना द्विवेदी ने कहा
“भारतीय संस्कृति और परंपरा की आत्मा नृत्य और संगीत में बसती है। कत्थक न केवल उत्तर प्रदेश की पहचान है, बल्कि यह आत्मिक शांति और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी है।”
उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रस्तुतियों में निखार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, जिसे आगे निरंतर अभ्यास और साधना से और अधिक परिपक्व किया जा सकता है। इस अवसर पर रश्मि सिंह ने गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,
“किसी भी साधना में गुरु की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है, और प्रशिक्षिका अंजलि चौहान ने यह दायित्व अत्यंत कुशलता से निभाया है।”
रिवेम्प इंडिया फाउंडेशन के श्री वैभव राठौर ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज कला केवल आनंद का नहीं, बल्कि रोजगार और सामाजिक प्रतिष्ठा का भी माध्यम बन चुकी है। कार्यक्रम की प्रशिक्षिका अंजलि चौहान ने सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों को धन्यवाद देते हुए कहा—
“भारतीय शास्त्रीय कला से बच्चों को जोड़ने की यह एक छोटी कोशिश थी, जिसे हम नियमित रूप से जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह साधना केवल मंच की नहीं, आत्मा की है।”
समापन अवसर पर बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश की ओर से सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में श्री कृष्ण सिंह चौहान, विमल राठौर, जसवीर राठौर, शाश्वत सोमवंशी, भूपेंद्र प्रताप सिंह, निहारिका पटेल, अंजू सिंह, शांतनु कटियार समेत अनेक अभिभावक और कला प्रेमी उपस्थित रहे। सभी ने बच्चों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की और इस पहल को नियमित रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता जताई।