कंपनियों की करोड़ों बोतलों की सप्लाई से बांग्लादेश-नेपाल तक फैला नेटवर्क
लखनऊ| प्रदेश में नशीले कफ सिरप की तस्करी को लेकर चल रही जांच में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की विस्तृत जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि एबॉट फार्मास्युटिकल्स ही नहीं, बल्कि लैबोरेट फार्मा और आर्पिक फार्मा जैसी कंपनियों ने भी बड़े पैमाने पर कोडीनयुक्त कफ सिरप की बिक्री की, जिसे बाद में बांग्लादेश और नेपाल तस्करी कर भेजा गया। जांच में सामने आया है कि तीनों कंपनियों ने मिलकर करीब 80 लाख से अधिक बोतलों की सप्लाई की, लेकिन आर्पिक फार्मा को छोड़ दें तो अब तक अन्य कंपनियों पर ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
एफएसडीए बीते एक वर्ष से इस संगठित तस्करी नेटवर्क की परतें खोलने में जुटा था। जांच में पुख्ता साक्ष्य मिले कि हिमाचल प्रदेश की एबॉट फार्मा ने 2.24 करोड़ फेंसेडिल और न्यू फेंसेडिल सिरप की बोतलें बेचीं। इसी तरह पोंटा साहिब स्थित लैबोरेट फार्मा ने एस्कॉफ सिरप की 73.16 लाख बोतलें और अहमदाबाद की आर्पिक फार्मा ने फेंसेपिक सिरप की 14.54 लाख बोतलें बाजार में उतारीं। जब इन सिरपों को खरीदने वाली फुटकर फर्मों की जांच शुरू हुई तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। अधिकांश फर्में अपने पते पर मौजूद ही नहीं थीं, कुछ स्थायी रूप से बंद मिलीं और कई जगहों पर केवल टेबल-कुर्सी रखी मिली, दवाओं का कोई नामोनिशान नहीं था।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इन फर्मों का इस्तेमाल केवल कागजी बिलिंग प्वाइंट के रूप में किया जा रहा था, जबकि पूरा माल सीधे अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क के जरिए बांग्लादेश और नेपाल भेज दिया जाता था। एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर अब जिलों में कंपनियों और फर्जी फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई तेज कर दी गई है।
तफ्तीश में यह तथ्य भी सामने आया है कि कोडीनयुक्त कफ सिरप का निर्माण मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हो रहा है। हिमाचल में एबॉट फार्मा, लैबोरेट फार्मा, थ्री बी हेल्थकेयर, विंग्स बायोटेक जैसी कंपनियां और उत्तराखंड में शुभम रेमेडीज, जान्या बायोकेयर व ग्लोबल फार्मा द्वारा विभिन्न ब्रांड नामों से इन सिरपों का उत्पादन किया जा रहा था।
अब तक एसटीएफ और जिला पुलिस की कार्रवाई में 80 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 161 फर्मों के खिलाफ 79 एफआईआर दर्ज हुई हैं। 13 लाख से अधिक कोडीनयुक्त कफ सिरप की बोतलें भी बरामद की जा चुकी हैं और सभी मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। इसके बावजूद सवाल यह है कि करोड़ों बोतलों की सप्लाई करने वाली बड़ी दवा कंपनियों पर अब तक सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई, और कब इस तस्करी के असली सरगनाओं तक कानून का शिकंजा पहुंचेगा।






