लखनऊ। कफ सिरप तस्करी से जुड़े बहुचर्चित सिंडिकेट मामले में विभोर राणा और विशाल सिंह को बड़ी राहत मिली है। मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दोनों आरोपियों को सशर्त अंतरिम जमानत प्रदान कर दी है। न्यायालय ने यह राहत जांच में सहयोग की कड़ी शर्तों के साथ दी है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत का यह अर्थ नहीं है कि जांच प्रभावित होगी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग देंगे और जब भी बुलाया जाएगा, अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे। साथ ही किसी भी प्रकार से साक्ष्यों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने पर जमानत निरस्त की जा सकती है।
यह मामला कफ सिरप की अवैध तस्करी और संगठित नेटवर्क से जुड़ा है। जांच में सामने आया है कि प्रतिबंधित मात्रा में कफ सिरप की सप्लाई विभिन्न जिलों और राज्यों तक की जा रही थी। इस नेटवर्क के तार दवा कारोबार, परिवहन और अवैध वितरण चैनलों से जुड़े बताए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस सिंडिकेट के जरिए नशीले कफ सिरप को युवाओं और अवैध बाजारों तक पहुंचाया जा रहा था। जांच एजेंसियों ने इस मामले में पहले ही कई लोगों से पूछताछ की है और आगे भी कार्रवाई जारी है।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत के बावजूद जांच की प्रक्रिया पूरी तरह जारी रहेगी। यदि जांच के दौरान आरोपियों की भूमिका संदिग्ध या सहयोगहीन पाई जाती है, तो जमानत को निरस्त किया जा सकता है।
कानूनी जानकारों का मानना है कि अंतरिम जमानत न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन यह जांच के निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। अंतिम फैसला चार्जशीट और साक्ष्यों के आधार पर होगा।






