– नेटवर्क फेल और भीड़ ने बढ़ाई अव्यवस्था, मरीजों को करना पड़ा घंटों इंतजार
फर्रुखाबाद। जिले के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र लोहिया अस्पताल में शुक्रवार को अफरातफरी का माहौल बन गया, जब ओपीडी पर्चा काउंटर पर मरीजों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। पर्चा बनवाने की जल्दबाजी में मरीजों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई और देखते ही देखते विवाद हो गया। स्थिति बिगड़ती देख अस्पताल के कर्मचारियों को मौके पर पहुंचकर भीड़ को समझाकर मामला शांत कराना पड़ा।
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से मौसम में बदलाव के चलते वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, डायरिया, खांसी जैसे मौसमी रोगों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इसका सीधा असर लोहिया अस्पताल की ओपीडी पर पड़ रहा है, जहां मरीजों की तादाद रोजाना हजारों में पहुंच रही है।
शुक्रवार सुबह ओपीडी खुलते ही पर्चा काउंटर पर मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। नेटवर्क समस्या के कारण कंप्यूटर से पर्चा नहीं बन पाया, जिससे पर्चे हाथ से बनाने पड़े। इससे काम की रफ्तार धीमी हो गई और भीड़ बढ़ती चली गई।
भीड़ को लाइन में लगवाने या नंबर सिस्टम जैसी कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों के बीच धक्का-मुक्की की नौबत आ गई।
हर दिन दोहराई जाती है अव्यवस्था
मरीजों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि हर दूसरे-तीसरे दिन इसी तरह की अफरातफरी और अव्यवस्था देखने को मिलती है। सुबह 7 बजे से कतार में लगने के बावजूद कई बार दोपहर तक पर्चा नहीं बन पाता। और अगर पर्चा बन भी जाए, तो डॉक्टर को दिखाने के लिए दोबारा लंबी लाइन में लगना पड़ता है। कई मरीजों को तो बिना इलाज के लौटना पड़ता है।
हंगामे के बाद कुछ मरीजों ने सीएमएस से मुलाकात कर ओपीडी व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि नेटवर्क समस्या के स्थायी समाधान के साथ-साथ टोकन सिस्टम लागू किया जाए और अधिक काउंटर खोले जाएं ताकि भीड़ को विभाजित किया जा सके।
बार-बार अव्यवस्था के बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। मरीजों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन को तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
“हम सुबह 6 बजे से लाइन में लगे हैं, अब दोपहर हो गई लेकिन न पर्चा बन पाया और न डॉक्टर को दिखा सके। कोई सुनवाई नहीं है।”
— राजीव कुमार, मरीज
“नेटवर्क फेल हो जाता है, इसलिए हाथ से पर्चा बनाना पड़ता है। मरीजों की संख्या ज्यादा है तो थोड़ी देर लग जाती है।”
— अस्पताल कर्मचारी