– जिले के सैकड़ों गांवों में मक्का, मूंगफली, तरबूज और मूंग की फसलें हो रही प्रभावित
फर्रुखाबाद। ग्रामांचल में बिजली आपूर्ति की लगातार कटौती से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। जिले के कमालगंज, मोहम्मदाबाद, शमसाबाद और मेरापुर क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में किसानों की फसलें अब सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं। पहले जहां ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 10 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति होती थी, अब वह घटकर महज 5 घंटे रह गई है, वह भी टुकड़ों में—सुबह 3 घंटे और शाम को केवल 2 घंटे।
गर्मी की इस तेज़ लहर में मक्का, मूंगफली, तरबूज, खरबूजा, उरद, मूंग, चारा और हरी सब्ज़ियों की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता है। मगर लगातार बिजली कटौती के कारण किसान ट्यूबवेल नहीं चला पा रहे हैं, जिससे फसलें सूखने लगी हैं। कृषि विभाग की मानें तो जिले में करीब 1.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इन फसलों की बुआई की गई है, जिसमें से करीब 65 प्रतिशत खेत सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर हैं।
किसान नेता अरविंद राजपूत अशोक कटियार,संतोष शुक्ला आदि ने बिजली विभाग और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि –”जब फसल को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत है, तब बिजली विभाग आंखें मूंदे बैठा है। एक महीने पहले तक हमें सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक लगातार बिजली मिलती थी, लेकिन अब आधे समय के लिए भी बिजली नहीं दी जा रही है। अगर यही हाल रहा तो किसानों को आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।”
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुनः कम से कम 10 घंटे की लगातार बिजली आपूर्ति बहाल की जाए, ताकि खेतों की सिंचाई हो सके और फसलें बचाई जा सकें।
कमालगंज के किसान जगदीश प्रसाद ने बताया,”मैंने इस सीजन में 4 बीघा में मूंग और तरबूज की फसल बोई है। पानी न मिलने से पौधे मुरझाने लगे हैं। हर रोज़ इंजन चलाने की कोशिश करता हूं लेकिन बिजली रहती ही नहीं।”
वहीं मोहम्मदाबाद के किसान रमेश यादव ने कहा कि”हमारा तो सारा भरोसा ट्यूबवेल पर है। अब अगर समय से पानी नहीं मिला, तो फसल बर्बाद होगी और कर्ज चुकाना भी मुश्किल हो जाएगा।”
जब बिजली विभाग के स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहरी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि ग्रामीण आपूर्ति में तकनीकी और लोड के कारण कटौती हो रही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जल्द सुधार की कोशिश की जा रही है।
ग्रामीण किसानों के सामने यह संकट केवल सिंचाई का नहीं, बल्कि उनके पूरे जीवन-यापन और आर्थिक स्थिरता का है। यदि समय रहते प्रशासन ने बिजली आपूर्ति सामान्य नहीं की, तो यह संकट बड़ी संख्या में किसानों को भारी नुकसान की ओर ले जा सकता है। किसान संगठन भी अब सक्रिय हो चुके हैं और आंदोलन की तैयारी की बात खुलकर कह रहे हैं।