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Monday, August 18, 2025

बिजली निजीकरण आंदोलन से जुड़े दो अभियंताओं पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज

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विजिलेंस जांच में आय से अधिक संपत्ति का खुलासा
प्रदर्शन में सक्रिय अभियंताओं पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस
महासंघ ने जताया विरोध, कहा- बिना पक्ष सुने कार्रवाई अस्वीकार्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण (electricity privatization) के खिलाफ चले आंदोलन में अहम भूमिका निभा चुके दो अभियंताओं पर अब विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों में पॉवर कॉरपोरेशन (Power Corporation) के अभियंता ललित सिंह और एक अन्य अधिकारी शामिल हैं।

विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इन अभियंताओं ने 66 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की, जबकि 75 लाख से ज्यादा की लेन-देन का कोई वैध स्रोत नहीं मिला है।

अभियंताओं पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले को लेकर पुलिस और विजिलेंस टीम ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि दोनों अभियंताओं की आर्थिक गतिविधियों और बैंक खातों की गहन जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार अभियंता ललित सिंह और उनके सहयोगी बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सक्रिय रहे हैं। इन्होंने पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन और कई उच्चाधिकारियों की संपत्तियों की भी जांच की मांग की थी।

अब उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर बिजली कर्मचारी संगठनों और अभियंता महासंघों ने सवाल खड़े किए हैं।
उत्तर प्रदेश अभियंता महासंघ ने इस कार्रवाई को “बदले की भावना से की गई कार्यवाही” करार दिया है। महासंघ ने कहा:

 

“बिना पक्ष सुने किसी भी कर्मचारी पर इस तरह की कठोर कानूनी कार्रवाई स्वीकार नहीं की जाएगी। यह आंदोलन को कुचलने की साजिश है।”

महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि मुकदमा वापस नहीं लिया गया, तो प्रदेश भर में आंदोलन को फिर से तेज किया जाएगा। इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि

 

“जो भी कर्मचारी निजीकरण और जनहित के खिलाफ आवाज उठाता है, उसके खिलाफ प्रताड़ना शुरू कर दी जाती है।”

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